नई दिल्लीः अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी जैसे देशों के साथ ही भारत में आज डॉटर्स डे (बेटी दिवस) मनाया जा रहा है. हर साल सितंबर महीने के चौथे रविवार को डॉटर्स डे के रूप में मनाया जाता है. डॉटर्स डे को बच्चियों के सम्मान और समानता के प्रतिक वाले दिन के तौर पर देखा जाता है. हमारे देश में डॉटर्स डे बेटियों के लिए समानता और सशक्तिकरण के दिवस के रूप में देखा जाता है.
पहले के समय के साथ ही वर्तमान समय में भी देश के कुछ इलाकों में बेटे के जन्म को काफी महत्व दिया जाता है. वहीं बेटी के पैदा होने पर इसे कलंक से जोड़ कर देखा जाता था. आज भी कई जगहों पर बेटियों को बेटे के बराबर दर्जा नहीं मिल पाया है. कई-कई जगहों पर बेटियों को शिक्षा से भी वंचित रखा जाता रहा है. लड़कियों के साथ हो रहे इस भेदभाव को मिटाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए ही डॉटर्स डे (बेटी दिवस) को मनाया जाता है.
भारत में अक्सर बेटियां घरेलू हिंसा का शिकार होती रही हैं. आज भी दहेज के लालची बेटियों को मौत की बलि चढ़ाने से पीछे नहीं हटते हैं. इसके साथ ही देश में लगातार दुष्कर्म के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. बेटियों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने और देशवासियों को जागरूक करने में डॉटर्स डे का अहम योगदान रहा है.
आज के दिन माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों को अपनी और आसपड़ोस में रहने वाली बच्चियों को तोहफे भेंट करने चाहिए. आज के दिन अपने बिजी शेड्यूल से समय निकाल कर अपनी बेटी के साथ कुछ क्वालिटी टाइम जरूर बिताना चाहिए. बेटियों को बताना चाहिए कि वह किसी भी मामले में लड़कों से कम नहीं हैं. बेटियों को उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ाया जा सके.
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एबीपी न्यूज़
Updated at:
27 Sep 2020 02:07 PM (IST)
सितंबर महीने के चौथे रविवार को डॉटर्स डे के रूप में मनाया जाता है. डॉटर्स डे बेटियों के लिए समानता और सशक्तिकरण के दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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