भारत में हार्ट अटैक से पिछले कुछ वर्षों में मौत के बढ़े मामले, जानिए क्या है सबसे बड़ा जोखिम फैक्टर
विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट अटैक से जुड़ी कुछ गलतफहमियां भी मौत की जिम्मेदार हैं. कुछ लोगों का मानना है कि सिर्फ हाई कोलेस्ट्रोल या ब्लड प्रेशर के मरीज ही हार्ट अटैक से पीड़ित हो सकते हैं.
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इंद्र कुमार, अमित मिस्त्री, राज कौशल के बाद अब सेलिब्रिटीज की लिस्ट में हार्ट अटैक से मरनेवालों में सिद्धार्थ शुक्ला का नाम जुड़ गया है. किसी ने सोचा भी नहीं था कि फिट और हेल्दी 40 वर्षीय शुक्ला साइलेंट किलर का शिकार हो जाएंगे. शुक्ला अपने कैरियर की बुलंदी पर थे, जिसकी हर किसी को चाहत होती है, लेकिन अचानक से उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. हालांकि, ये सभी युवा मौतें एक महत्वपूर्ण सवाल उठाती हैं कि क्यों और कैसे?
हार्ट अटैक के कारण मौत के मामलों में बढ़ोतरी
ऐसे समय जब लोग अपनी सेहत को लेकर पहले से ज्यादा जागरुक हैं, हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं. सटीक तौर पर कहा जाए तो हम चाहे बाहर से कितने फिट क्यों न दिखाई देते हों, अंदर से भी हमें रहने की जरूरत है. भारत में हार्ट अटैक के कारण मौत की संख्या पर एक नजर डालने से चौंकानेवाला खुलासा होता है. 2016 से लेकर 2019 तक भारत में हार्ट अटैक की वजह से मौत का आंकड़ा बढ़ा है. 2016 में 21,914 लोगों ने हार्ट अटैक के कारण जान गंवाई. 2017 में मरनेवालों की संख्या 23,249 रही, 2018 में 25,764 और 2019 में 28,005 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हुई.
शारदा अस्पताल नोएडा में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सुभेदुं मोहंती बताते हैं, "हकीकत है कि महामारी के दौरान हम अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक हो गए हैं, लेकिन ये भी वास्तविकता है कि लोग उसके लिए बहुत ज्यादा नहीं कर रहे हैं. उसके अलावा, हार्ट अटैक से जुड़ी कुछ गलतफहमियां भी हैं. कुछ लोगों का मानना है कि सिर्फ हाई कोलेस्ट्रोल या ब्लड प्रेशर के मरीज ही हार्ट अटैक से पीड़ित हो सकते हैं. लिहाजा, उनका ज्यादा फोकस इस पर रहता है और अपना ब्लड टेस्ट हर छह महीनों पर कराते हैं.
हार्ट अटैक से जुड़ी कुछ गलतफहमी भी जिम्मेदार
ये सभी एजेंसियों की तरफ से प्रचारित किए जा रहे अवैज्ञानिक तरीके हैं. विज्ञान के मुताबिक, 30 साल की उम्र में आपको रूटीन चेकअप के लिए जाने की जरूरत नहीं." लोगों को समझना होगा कि प्रमुख जोखिम फैक्टर क्या हैं. आज ये स्मोकिंग और तनाव हैं. उन्होंने विस्तार से समझाया "कोई भी तनाव का आंकलन नहीं करता है और उसके बारे में बहुत कम प्रयास करता है. दूसरी महत्वपूर्ण बात स्मोकिंग आम हो गई है. ये सबसे खतरनाक जोखिम फैक्टर है." उनका ये भी कहना है कि व्यायाम की कमी, खराब खानपान और अपर्याप्त नींद की भी भूमिका होती है. रात की अच्छी नींद का कोई विकल्प नहीं हो सकता. अगर पिछली रात आप ठीक तरीके से नींद नहीं ले सके, तो अगले दिन तनाव का लेवल बढ़ जाएगा.
स्मोकिंग से जु़ड़ी एक आम गलतफहमी को इस तरह समझा जा सकता है कि लोग छोड़ने के बजाए गिनती को कम करते हैं, हालांकि ये मददगार नहीं है. मोहंती कहते हैं "अगर आपको अपने हार्ट से प्यार है, तो स्मोकिंग छोड़ना महत्वपूर्ण हो जाता है. सिगरेट में कमी पर बहुत सारे लोग खुद की तुलना दूसरों से करते हैं. ये गलत है." उसके अलावा, आज हमारा फोकस पूरी तरह मसल बनाने पर हो गया है. हम स्मार्ट दिखाई देना चाहते हैं, लेकिन हमारी अंदरुनी सेहत उसकी वजह से प्रभावित होती है. मोहंती के मुताबिक, सच ये है कि ये सिर्फ मसल बनाने के बारे में नहीं है बल्कि आपको अंदर से हेल्दी रहना है और तनाव ऐसा कभी नहीं होने दे सकता.
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