फिल्मों में ही नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में भी भाभी-देवर का रिश्ता बहुत विशेष होता है. जब एक लड़की पहली बार अपने ससुराल में कदम रखती है, तब वह चिंतित रहती है कि वह अपने सभी संबंधों को कैसे संभालेगी. इस प्रकार की स्थिति में, यदि भाभी-देवर के बीच एक दोस्त या भाई जैसा रिश्ता बनता है, तो चीजें काफी हद तक सही हो जाती है. आइए जानते हैं कि देवर भाभी को किन चीजों में सावधानी रखनी चाहिए.
इज्जत होना बहुत महत्वपूर्ण
इस रिश्ते में इज्जत होना बहुत महत्वपूर्ण है. यही बातें को नियंत्रित रखती है. इसके कारण, उन दोनों एक दूसरे से कुछ भी ऐसा मजाक में भी नहीं कहना चाहिए जिससे रिश्ता की मिठास कम हो सके.
भाभी से कितना मजाक करना है
आपने बहुत लोगों को ये शब्द कहते हुए सुना होगा, 'सीमाएँ पार नहीं करनी चाहिए', लेकिन भाभी-देवर के बीच रिश्ते में इस प्रकार की सीमा बहुत ही महत्वपूर्ण है. ध्यान देना चाहिए कि अपनी भाभी के साथ कैसे या कितना मजाक करना है. किस प्रकार का टोन इस्तेमाल करना है. घर के निर्णयों में कितना हस्तक्षेप करना चाहिए. इसे बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है.
देवर एक भाई या दोस्त
जब एक लड़की अपने ससुराल में जाती है, तो उसे अकेलापन का अहसास होता है. उसे अपने पति के अलावा सभी के साथ असहजता महसूस होती है. लेकिन, अगर देवर एक भाई या दोस्त का किरदार निभाए, तो डर धीरे-धीरे लड़की के मन से दूर होने लगता है. उसके पति के अलावा, अगर उसको अपने ससुराल में एक समर्थन करने वाले व्यक्ति का समर्थन मिलता है, तो उसे चीजों का सामना करने का साहस भी मिलता है.