नई दिल्लीः आज नवरात्रि का आठवां दिन है. हालांकि कुछ जगहों पर आज ही रामनवमी भी मनाई जा रही है. लेकिन अयोध्या में रामनवमी का त्योहार पांच तारीख को ही मनाया जाएगा.
महागौरी का नामकरण-
माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां गौरी ने कठोर पूजा की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने इन्हें दर्शन दिए तो उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गौरा हो गया और इनका नाम गौरी हो गया.
महागौरी की महत्ता-
माना जाता है कि माता सीता ने श्रीराम की प्राप्ति के लिए मां गौरी की ही पूजा की थी. विवाह संबंधी तमाम समस्याएं इनकी पूजा से हल हो जाती हैं. जिन कन्याओं का विवाह नहीं होता है तो उनके लिए गौरी पूजन विधान किया जाता है. जब भगवती सीता का एक साल तक स्वंयवर होने के बाद भी विवाह नहीं हो रहा था तो जनक जी ने माता सीता को इन्हींपकी पूजा करने मंदिर भेजा था.
मां गौरी के लिए मंत्र- मां गौरी को प्रसन्न करने के लिए ‘ऊँ भगवते महागौर्यै नमः’ इसी मंत्र का जाप करना चाहिए.
मां गौरी की पूजा कैसे करें-
- मां गौरी की पूजा पीले कपड़े पहनकर की जाती है.
- मां के सामने दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें.
- पूजा में मां को सफेद या पीले फूल चढ़ाएं.
- इसके बाद मां गौरी के मंत्रों का जाप करें.
‘हे गौरी शंकरार्धांगी
यथा त्वं शंकर प्रिया,
तथा मां कुरू कल्याणी
कान्ताकांता सुदुर्लभाम’
- इस मंत्र का जाप लाल चंदन या मोती की माला से करना लाभकारी होता है.
- मंत्र जाप करते समय चमकदार कपड़े पहनें.
- अगर पूजा आधी रात को की जाए तो इसके परिणाम और भी शुभ होते हैं.
अष्ठमी के दिन क्यों करवाते हैं कन्याओं को भोजन-
नवरात्र के अष्ठमी के दिन कन्या पूजन का विधान है. नवरात्र केवल व्रत और उपासना का पर्व नहीं है. ये नारी शक्ति और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है. इसलिए कुंआरी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी हैं. हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं की पूजा की परंपरा रही है. लेकिन अष्टमी और नवमी को कन्याओं की पूजा अवश्य करनी चाहिए. दो वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा का विधान है. अलग-अलग उम्र की कन्या देवी के अलग-अलग रूप को दर्शाती है. कन्याओं के पूजन के दौरान उन्हें प्रेम और श्रद्धा से भोजन कराएं और दक्षिणा दें.
महागौरी की उपासना के लाभ-
दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है. इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है. इनकी उपासना से भक्तों को सभी कल्मष धुल जाते हैं, पूर्वसंचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं. भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं जाते. वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है.