नई दिल्ली: डायबिटीज की समस्या अब आम बन चुकी है. पहले ये बीमारी सिर्फ बुजुर्गों में सुनने को मिलती थी लेकिन, अब ये बच्चों, कम उम्र के पुरुषों और महिलाओं को भी हो रही है. डायबिटीज वैसे तो पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकता है लेकिन, महिलाओं के लिए डायबिटीज ज्यादा हानिकारक है. डायबिटीज एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है जिसमें पैंक्रियास में ठीक से इंसुलिन नहीं पहुंच पाती. जिससे शरीर के खून में ग्लूकोज बढ़ जाती है. इसी को डायबिटीज कहा जाता है.
डायबिटीज तीन प्रकार के होते हैं
पहला डायबिटीज टाइप वन, दूसरा डायबिटीज टाइप 2 और तीसरा जेस्टेशनल डायबिटीज, जो प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली हाई ब्लड शुगर की समस्याएं है.
डायबिटीज 2 से पीड़ित होने वाली मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. डायबिटीज के कुल मामलों में से 90 से 95% मामले टाइप टू डायबिटीज के सामने आ रहे हैं. विशेषकर महिलाएं टाइप टू डायबिटीज से ज्यादा पीड़ित हैं. खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव की वजह से डायबिटीज की प्रॉब्लम दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. डायबिटीज के कारण महिलाओं को कई तरह की समस्याएं होती हैं. इस आर्टिकल में हम आपको डायबिटीज के कुछ लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो विशेषकर महिलाओं में देखे जाते हैं.
यूरिनरी ब्लाडर में इन्फेक्शन
डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं के यूरिनरी ब्लाडर में इन्फेक्शन की समस्या बढ़ जाती है. यदि शरीर में ब्लड शुगर लेवल हाई है तो यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की संभावनाएं और बढ़ जाती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हाई ब्लड शुगर लेवल शरीर की इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता को कम कर देता है. डायबिटीज की वजह से कुछ महिलाएं अपनी यूरिनरी ब्लाडर को पूरी तरीके से खाली नहीं कर पाती जिससे इस इंफेक्शन का खतरा और बढ़ जाता है.
समय पर पीरिडयड्स न आना
अगर आपको समय पर पीरियड्स नहीं हो रहे हैं तो ये इस बात का संकेत है कि डायबिटीज आपके मेंस्ट्रुअल साइकिल पर प्रभाव डाल रहा है. रिपोर्ट्स बताती है कि टाइप वन डायबिटीज से ग्रसित महिलाओं को अनियमित पीरियड्स होते हैं. हालांकि ये जरूरी नहीं है कि ऐसा सभी महिलाओं के साथ होगी लेकिन, कुछ महिलाओं में टाइप वन डायबिटीज की वजह से समय पर पीरिडयड्स न आने की समस्यां होती है.
पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम
सबसे पहले समझिये पीसीओएस क्या है. दरअसल, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं के अंडाशय (ओवरी) से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. इस बीमारी की वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। डायबिटीज की वजह से महिलाओं को पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम, या पीसीओएस का खतरा बढ़ जाता है. रिपोर्ट्स ये दावा करती हैं कि जिन महिलाओं को पीसीओएस की बीमारी होती है उनमें टाइप टू डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.
सामान्य से बड़ा बच्चा
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार, सभी गर्भवती महिलाओं में से 10% गर्भवती महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज से ग्रसित हैं. गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव इन्सुलिन प्रतिरोध को बढ़ा देते हैं जिससे इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. डॉक्टर्स का मानना है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को नियमित रूप से ग्लूकोस टोलरेंस टेस्ट करवाना चाहिए जिससे वह इस बीमारी से बच सकें।
यूएस सीडीसी के अनुसार प्रेगनेंसी के बाद सामान्य से बड़ा बच्चा होना जेस्टेशनल डायबिटीज की वजह से हो सकता है. जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज होता है उनमें से 50 प्रतिशत महिलाओ को टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है.
डायबिटीज की वजह से महिलाओं को दिल की बीमारी, किडनी प्रॉब्लम और डिप्रेशन जैसी परेशानियां होने लगती है. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ये समस्याएं ज्यादा परेशान करती है और उनके लिए जानलेवा हो सकती है. इसके साथ ही मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में आने वाले बदलाव भी डायबिटीज का खतरा बड़ा सकते है. इसके चलते रक्त शर्करा में वृद्धि, वजन बढ़ना और सोने की समस्या हो सकती है.
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