क्या प्रेगनेन्सी में ज्यादा सोना मिसकैरेज का खतरा बढ़ा सकता है ? जानिए कितने घंटे की नींद है पर्याप्त
जब आप प्रेगनेन्ट होती हैं, तब ये सुनना आम है कि आपको बहुत आराम की जरूरत है क्योंकि जन्म के बाद कई रात आपको बिना नींद के बिताने पड़ सकते हैं. मां की बाधा रहित लंबी नींद और मिसकैरेज के बीच एक संबंध हो सकता है. हालांकि, शोधकर्ताओं ने चेताया है कि प्रेगनेन्ट महिलाओं पर उसके जोखिम को समझने के लिए रिसर्च को अभी और करने की जरूरत है.
प्रेगनेन्सी के दौरान थोड़ा ज्यादा थकान का एहसास सामान्य घटना है. लेकिन, अगर हर वक्त नींद की जरूरत महसूस होती है, तब आपको चिंता शुरू कर देनी चाहिए. अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक, प्रेगनेन्सी के दौरान हर रात, बिना गड़बड़ी के, नौ घंटे से ज्यादा सोने का संबंध मिसकैरेज से जुड़ सकता है.
आप जानती हैं आपका डॉक्टर पर्याप्त आराम करने की सलाह देता है, लेकिन ये कितना होना चाहिए? हो सकता है आपको प्रेगनेन्सी के दौरान नींद की सही मात्रा के सिलसिले में कुछ सवाल होंगे. नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, अच्छे स्वास्थ्य के लिए नींद की जरूरी मात्रा उम्र के हिसाब से अलग-अलग होती है.
प्रेगनेन्सी में क्या ज्यादा सोने से मिसकैरेज का खतरा होता है?
प्रेगनेन्ट होने के वक्त ज्यादातर महिलाओं को रोजाना 7-9 घंटे के बीच नींद की सिफारिश की जाती है. अगर आपको 9 से 10 घंटे की नियमित नींद आती है और आप अच्छी गुणवत्ता की नींद ले रही हैं, तब ये एक संकेत हो सकता है कि आपको अत्यधिक नींद आ रही है.
विज्ञान से साबित हुआ है कि नींद सभी प्रकार के महत्वपूर्ण शारीरिक काम, ऊर्जा की बहाली और दिमाग को जागते समय हासिल सूचना की प्रक्रिया को नई बनाने में मदद देती है. बिना पर्याप्त नींद के स्पष्ट तौर पर सोचना, तेजी से प्रतिक्रिया, फोकस करना और भावनाओं पर काबू पाना नामुमकिन है. नींद की पुरानी कमी से स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. प्रेगनेन्सी की पहली और तीसरी तिमाही के दौरान सामान्य से ज्यादा थकान का महसूस करना आम है.
पहली तिमाही में आपके ब्लड की मात्रा और प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ जाते हैं. इससे आपको काफी नींद आ सकती है. तीसरी तिमाही तक बच्चे का अतिरिक्त वजन उठाना और आनेवाली मेहनत की चिंता से आप कुछ अतिरिक्त समय बिस्तर में बिताने के लिए तरस सकती हैं. हार्मोनल और मनोवैज्ञानिक बदलावों के अलावा आपको बहुत अच्छी नींद मिल सकती हो. प्रेगनेन्सी से जुड़ी असुविधा, ज्यादा तनाव और चिंता का नतीजा बेचैन नींद की शक्ल में सामने आ सकता है. इससे आप दिन में ज्यादा थकी हुई मससूस कर सकती हैं.
एक रिसर्च में बताया गया है कि तीसरी तिमाही में अत्यधिक नींद का खतरा हो सकता है. मिशिगन मेडिसीन की नई रिसर्च में प्रेगनेन्सी के दौरान हर रात 9 घंटे से ज्यादा सोने का संबंध मिसकैरेज से जोड़ा गया है. रिसर्च में शामिल जिन महिलाओं लगातार 9 घंटे से ज्यादा गड़बड़ी के बिना और नियमित चैन की नींद प्रेगनेन्सी के आखिरी महीने में ली, उनको मिसकैरेज का ज्यादा खतरा था.
प्रेगनेन्ट महिलाओं को 10 घंटे से ज्यादा नहीं नींद की सलाह
बर्थ पत्रिका में प्रकाशित नतीजे मां का निरंतर लंबी नींद मिसकैरेज की तरफ बताती है. हालांकि, शोधकर्ताओं ने चेताया है कि प्रेगनेन्ट महिलाओं के लिए उसकी पेचीदगी को पूरी तरह समझने के लिए आगे रिसर्च की जरूरत है. वास्तव में प्रेगनेन्सी के दौरान 7-9 घंटे सोना सामान्य है लेकिन अगर कोई महिला 10 घंटे से ज्यादा सोती है, तब ये प्रेगनेन्सी के दौरान अत्यधिक नींद समझा जाता है. प्रेगनेन्ट महिलाओं को रात के बीच में जागने से परहेज करना चाहिए. नींद की कमी का संबंध प्रेगनेन्सी के खराब नतीजों से भी जोड़ा गया है.
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