Emotional Baggage: हर इंसान अपने जीवन में 'इमोशनल बैगेज' को ढोता है. बस फर्क इतना होता है कि हर व्यक्ति की समस्या या तकलीफ अलग होती है. यह बैगेज हमारे मन में तब घर करता है जब हमारे मन को किसी बात से बहुत गहरी चोट पहुंची हो और इस दुःख या समस्या का समाधान न निकला हो. अनजाने में हम अपनी व्यथा को इतना बढ़ा देते हैं कि उसका डर कब 'इमोशनल बैगेज' बन जाता है, हमें खुद इसका अंदाज़ा भी नहीं हो पाता. इससे छुटकारा पाना इतना आसान नहीं होता. ऐसी परिस्थिति में बहुत जरूरी है कि यह पहचानने की कोशिश करें कि क्या चीज़ आपको पीछे खींच रही है? अपने आपसे पूछे कि क्या आप सारी ज़िंदगी इस दुःख को अपने साथ लेकर चलेंगे? क्या आप अपने इस बोझ को हल्का करने को तैयार है या नहीं? अगर आप तैयार है तो आपके लिए कुछ नुस्खें है, जिससे आप नई ज़िंदगी में कदम आसानी से रख सकते हैं.

1. सबसे पहले यह जानने कि कोशिश करें कि आपके मन में किस तरह का दुःख है. अगर एक बार आप यह जान लेंगे कि वास्तव में आपके अंदर कोई ऐसा बैगेज है, तो इसका क्या करना है आप अच्छे से तय कर पाएंगे.


2. जब दुःख को आप अपने मन से निकलना शुरू कर दें तो उसे कहीं लिख लें. आपके लिए यह सब करना आसान नहीं होगा लेकिन फिर भी करें. लिखते समय यह सोचें कि हर नकारात्मक स्थिति के पीछे कुछ सकारात्मक छुपा होता है. 


3. उदास रहने में कोई समस्या नहीं है परंतु सारी जिंदगी उदास रहना, यह गलत है. अपने मन के भावों को, जो आपने अपने दिल में कहीं दबा रखें हैं उन्हें प्रकट करें. सब परिस्थितियों के लिए अपने आप को दोषी न मानें और ना ही किसी और के सिर इसका दोष डालें. 


4. जिंदगी में जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते जाएंगे, वैसे-वैसे आपको कुछ ऐसे लोग भी मिलेंगे, जो खुद किसी 'इमोशनल बैगेज' के साथ जी रहें होंगे इसलिए ऐसे लोगों से ना मिले. बल्कि ऐसे लोगों से मिलें जो ज़िंदगी को लेकर सकारात्मक हों और आपको इस दुःख से बाहर निकाल सकें. 


5. अपने आप से प्रश्न करें कि क्या इसका असर आपके काम या परिवार पर पड़ रहा है या नहीं? क्या आपको बदलने की आवश्यकता महसूस होती भी है या नहीं? अगर इनका उत्तर हां में है, तो पुराने बीतें समय के बारे में ना सोचें और ना ही उसे याद करें. यह सोचें कि वो सब ख़त्म हो चुका है और अपने वर्तमान पर फोकस करें. 


6. आप केवल अपनी सोच और अपनी करनी पर नियंत्रण रख सकते हैं दूसरों की नहीं. इसलिए अपने जीवन में ऐसी स्थितियों को चुने, जिनमें आपको उस दुःख को दोबारा न जीना पड़े. ऐसा कोई उपाय सोचे जिससे आप इस बैगेज की हल्का कर सकें.


7. हमेशा अपने आपको दूसरों की जगह पर रख के देखें. यह समझने की कोशिश करें कि उनके साथ क्या हुआ होगा और उसके बाद उन्हें कैसा एहसास हुआ होगा. उस इंसान को बुरा ना मानें. यह सोचें कि उनसे भी कुछ गलतियां हो गयी होंगी. 


8. यह पता लगाने की कोशिश करें कि उस स्थिति में आपकी कितनी गलती थी. आप ऐसा क्या कर सकते थे, जिससे वो स्थिति कभी उत्पन ही नहीं होती या भविष्य में ऐसा क्या करें की ऐसा कुछ दोबारा ना हो. 


9. गलती जिसकी भी हो सामने वाले व्यक्ति को माफ़ कर दें. ऐसा करने से आप खुद को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे और खुश भी रहेंगे. अगर आप उस व्यक्ति से बात ना करना चाहे तो उसमें कोई परेशानी नहीं है, बस अपने दिमाग में सोच ले कि आप आगे बढ़ना चाहते हैं. 


10. ऐसी  परेशानियां जिनमें आप उभर ना पा रहे हो या जिन समस्याओं का समाधान आप खुद से न निकाल पा रहे हो तो इसके लिए किसी से परामर्श ले. यह स्वीकार कर लें कि आपको बाहर से किसी व्यक्ति की सहानुभूति की ज़रूरत पड़ सकती है.



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