शहद की मक्खी के डंक का अनुभव निश्चित रूप से सुखद नहीं होता, लेकिन एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि गुस्से में मधुमक्खियां शांत मधुमक्खियों के मुकाबले बेहतर जहर पैदा करती हैं. कर्टिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया के कई जगहों पर मधुमक्खियों अध्ययन कर 99 मधुमक्खियों के जगह की प्रोटीन को खोजा. दिलचस्प बात ये है कि 'गुस्से' में मधुमक्खियां ज्यादा समृद्ध, प्रोटीन से भरपूर मधुमक्खी का जहर पैदा करते हुए पाई गईं.


गुस्से में मधुमक्खियां अच्छी क्वालिटी का जहर पैदा करती हैं


जहर में जितने अधिक प्रोटीन पाए जाते हैं, संभावित क्वालिटी और प्रभाव उतनी ही अधिक होता है. मधुमक्खी के जहर की प्रोटीन विभिन्नता को समझने के लिए जांचकर्ताओं ने मधुमक्खियों के व्यवहार स्वरूप समेत कई फैक्टर को देखा. टीम ने 200 किलोमीटर की परिधि में फैले 25 छत्तों के सैंपल पर काम किया. मास स्पेक्ट्रोमीटर का इस्तेमाल करते हुए जहर का विश्लेषण किया गया, जिससे शोधकर्ताओं को सटीक रूप से हर प्रोटीन के लेवल को मापने में सहूलियत हुई. उन्होंने फिर देखा कि कैसे प्रोटीन के ये लेवल पर्यावरण और व्यवहार कारकों के साथ अलग होते हैं. टीम का कहना है कि ये जहर पार्किंसन और ऑस्टियोअर्थराइटिस के खिलाफ लड़ाई में मदद कर सकता है.


पार्किंसन, ऑस्टियोअर्थराइटिस के खिलाफ लड़ाई में मददगार


टीम ने बताया कि जहां तक व्यवहार कारकों का संबंध है, तो जहर में देखा गया प्रोटीन की विविधता के लेवल का संबंध विनम्र और सक्रिय मधुमक्खियों से जोड़ा गया. परीक्षण के दौरान जिन मधुमक्खियों को ज्यादा सक्रिय समझा गया, उन्होंने शोधकर्ताओं के इलेक्ट्रिकल उत्तेजक डिवाइस की तीखी प्रतिक्रिया दी यानी गुस्से में मधुमक्खियों ने ज्यादा समृद्ध, ज्यादा प्रोटीन से भरपूर मधुमक्खी का जहर पैदा किया. शोधकर्ताओं ने ब्ताया कि जेनेटिक फैक्टर से परे, तापमान का मधुमक्खी के जहर की प्रोटीन संरचना पर भी असर दिखता है. उच्च तापमान छत्ते के अंदर और बाहर मधुमक्खी की गतिविधि के लिए विशेषकर नुकसानेदह है.


छत्तों के जांच करने पर टीम ने पाया कि उच्च तापमान वाली जगहों से जहर उत्पादन की सबसे कम मात्रा दिखाई दी. एक शोधकर्ता ने कहा, "ये हमारी उम्मीदों पर खरा उतरा कि मौसमी फैक्टर मधुमक्खी के जहर की प्रोटीन प्रोफाइल में बदलाव का कारण बनते हैं." भौगोलिक क्षेत्र ने भी मधुमक्खी के जहर की संरचना को प्रभावित किया. मधुमक्खियों के जहर का चिकित्सा गुण कुछ समय से जाने गए हैं. कुछ लोगों ने उसका इस्तेमाल उसके एंजाइम और पेप्टाइड के कारण पुराने जख्मों के लिए किया है जो सूजन और सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियां जैसे पार्किंसन्स, अल्जाइमर और अन्य का इलाज कर सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अभी आगे रिसर्च की जरूरत है ये समझने के लिए क्या मधुमक्खी पालक मधुमक्खी के जहर की मांग को पूरा कर सकते हैं, जिसका इस्तेमाल फेस क्रीम और थेरेपी समेत विभिन्न कारणों के लिए किया जाता है. 


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