तकनीक के दौर में हम सभी अपना समय वास्तविक दुनिया के बजाए डिजिटल दुनिया में बिता रहे हैं. हमारा दिमाग तकनीक से काबू हो रहा है और ये हमारी जिंदगी पर हुकूमत कर रहा है. ठीक उसी वक्त, हम एक पहलू को नजरअंदाज भी कर रहे हैं और ध्यान नहीं दे रहे हैं कि हमारे बच्चे गैजेट पर कितना समय खर्च कर रहे हैं.  इन दिनों, हमारे बच्चे ज्यादा समय मोबाइल गेम्स खेलने में बिता रहे हैं.


मोबाइल गेम्स का बच्चों पर प्रभाव


कुछ गेम्स बच्चों के दिमाग को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं. अभिभावकों को एमआरआई स्कैन के हवाले से ये जानकारी काफी चौंकानेवाली हो सकती है. पता चला है कि गेम्स के आदी हो जाने का प्रभाव दवा के दुरुपयोग की तरह है. अगर बच्चे लंबे समय तक मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं, तो उसकी वजह से नशे के आदी लोगों की तरह दिमाग के काम और संरचना पर बदलाव होता है. इसका नतीजा बच्चों के विकास, व्यवहार और स्वास्थ्य पर पड़नेवाले नकारात्मक प्रभाव की शक्ल में सामने आता है.


बच्चे हिंसक हो जाते हैं- ज्यादातर वीडियो गेम्स में हिंसात्मक सामग्री होती है. जिसकी वजह से ज्यादा हिंसक वीडियो गेम्स खेलनेवालों में हिंसक तरीके अपनाने का खतरा बढ़ जाता है और आक्रामक विचार हो जाता है.


ध्यान की कमी होती है- मोबाइल गेम्स ध्यान की कमी को नष्ट करते हैं. रिसर्च से पता चला है कि वीडियो गेम्स खेलने में ज्यादा समय बितानेवाले बच्चों का प्रदर्शन पढ़ाई में सिर्फ ध्यान की कमी के चलते ज्यादा खराब होता है.


शारीरिक समस्या होती है- मोबाइल गेम्स बच्चों की सेहत को भी प्रभावित कर सकता है. मोबाइल गेम्स बच्चों में मोटापा की वजह बनता है और उनके हाथ या हथेलियों पर चोट हो सकता है. बच्चे कुर्सी, बिस्तर और जमीन पर गेम्स खेलते वक्त बैठते हैं, जिसकी वजह से मांसपेशियों और जोड़ों की समस्या जैसे पीठ, गर्दन और सिर दर्द बढ़ने का खतरा भी बढ़ सकता है.


बच्चों को लत से कैसे बचाएं- डिजिटल युग में बच्चों के दिमाग का सेहतमंद विकास बहुत मुश्किल हो रहा है और अभिभाविकों को भी बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में, माता-पिता या परिजन क्या कर सकते हैं? उन्हें चाहिए कि अपने मासूमों की सख्ती से निगरानी करें और लंबे समय तक मोबाइल गेम्स खेलने की इजाजत न दें.


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