Egg Freezing Process: कब और कैसे महिलाएं फ्रीज करवा सकती हैं अपने एग्स, जानिए पूरी प्रक्रिया
एग फ्रीजिंग या औसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन, महिलाओं की प्रजनन क्षमता को संग्रहित करने का एक तरीका है. इस प्रक्रिया में महिला के परिपक्व और उर्वरक होने योग्य अंडों को ओवरी से निकाल कर फ्रीज किया जाता है.
Egg Freezing Process: ये महिलाओं में प्रजनन क्षमता को संरक्षित करने के लिए इस्तेमाल की जानेवाली सुरक्षित प्रक्रिया है. जो महिलाएं वर्तमान में अपनी प्रेगनेन्सी को देर से अपनाना चाहती हैं, लेकिन भविष्य में गर्भ धारण करने की क्षमता या जैविक बच्चे की प्राप्ति के लिए सुनिश्चित होना चाहती हैं, उनके लिए ये तरीका वरदान है. एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया में पुरुष पार्टनर की जरूरत नहीं होती.
अपने एग को फ्रीज करने का सर्वोत्तम समय आपके 20 या 30 दशक का हिस्सा है. एग फ्रीजिंग की सिफारिश 38 साल से ऊपर के लिए नहीं की जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि 35 साल के बाद एग की गुणवत्ता और मात्रा में कमी आने लगती है. कैंसर और उसके इलाज एग की सप्लाई में अप्रत्याशित तरीके से कमी करते हुए खास हार्मोन्स के उत्पादन को रोक सकते हैं, या प्रजनन अंगों जैसे ओवरी, यूटरस या फैलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंचा सकते हैं. एग फ्रीजिंग प्रक्रिया भविष्य में संतान का सुख प्राप्त करने के दरवाजे भले खोलती है, लेकिन उसके कुछ साइड इफेक्ट्स और जटिलताएं भी हैं. उन साइड-इफेट्स और पेचीदगियों में महंगा होने के साथ ब्लोटिंग, मतली, संक्रमण, हल्का पेट दर्द, उल्टी, डायरिया और ब्लीडिंग शामिल है.
एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया महंगी है
डॉक्टर एग फ्रीजिंग प्रक्रिया के बारे में महिला को विस्तार से सभी जानकारी देने में मदद करता है, उसमे एग फ्रिजिंग के फायदे और खतरे शामिल हैं. उसके अलावा, ये मूल्यांकन भी होता है कि क्या प्रक्रिया महिला के लिए ठीक है या नहीं. एग फ्रीजिंग प्रक्रिया किसी महिला को अपने एग को संरक्षित कर बाद में इस्तेमाल की की इजाजत देती है. कैंसर की पहचान होने पर कीमोथेरेपी, रेडिएशन या सर्जरी की जरूरत होती है, जो महिला के प्रजनन को प्रभावित कर सकता है. लिहाजा, कैंसर के इलाज से पहले एग फ्रीजिंग की कई गई प्रक्रिया भविष्य में महिलाओं को जैविक बच्चे पैदा करने में मदद करती है.
एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया से पहले
सबसे पहला अच्छा फर्टिलिटी क्लीनिक की तलाश करें और अनुभवी डॉक्टर से सलाह लें. प्रक्रिया से पहले डॉक्टर कई तरह के टेस्ट करता है. एग की मात्रा और गुणवत्ता की जांच के लिए पीरियड्स के तीसरे दिन ओवेरेयिन रिजर्व टेस्टिंग होता है. कुछ संक्रामक रोग का पता लगाने के लिए एचआईवी और हेपेटाइटिस बी और सी की भी जांच की जा सकती है. उसके बाद गोनेडोट्रॉफीन हॉर्मोन का डोज देकर ओवरी को ज्यादा एग बनाने के लिए उत्तेजित किया जाता है. पीरिडयड्स के दूसरे से लेकर 10-12 दिनों तक रोजाना हार्मोन्स के इंजेक्शन लगाए जाते हैं. 10-14 दिनों बाद एग पूरी तरह परिपक्व हो जाते हैं. उसके बाद परिपक्वता के आधार पर एग को लिक्विड नाइट्रोजन में रख दिया जाता है.
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