पुणे में है ‘ऑक्सीजन बार’! शुद्ध हवा में सांस लेने के लिए भीड़ लगती है यहां
आज हम आपको महाराष्ट्र पुणे के एक ऐसे अनोखे बार के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने शायद ही पहले सुना हो. जी हां, हम बात कर रहे हैं 'ऑक्सीजन बार' के बारे में. क्यों आप भी पढ़कर हैरान रह गए ना. चलिए जानते हैं क्या है इस बार की खासियत और क्यों खोला गया है ये बार.
नई दिल्लीः आपने बीयर बार, हुक्का बार और कॉफी बार जैसे कई बार्स के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको महाराष्ट्र पुणे के एक ऐसे अनोखे बार के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने शायद ही पहले सुना हो. जी हां, हम बात कर रहे हैं 'ऑक्सीजन बार' के बारे में. क्यों आप भी पढ़कर हैरान रह गए ना. चलिए जानते हैं क्या है इस बार की खासियत और क्यों खोला गया है ये बार.
शुद्ध ऑक्सीजन देना था मकसद- पिछले काफी समय से देखा जा रहा है कि पुणे और मुंबई जैसे शहरों की हवा दूषित हो रही है. ऐसे में लोग शुद्ध हवा में सांस नहीं ले पा रहे. इसी को ध्यान में रखकर ऑक्सीजन बार की शुरूआत की गई. ऑक्सीजन बार में आकर लोग शुद्ध ऑक्सीजन ले सकते हैं. ये बार लोगों को ऑक्सीजन भी अलग-अलग आरोमैटिक फ्लेवर में उपलब्ध करवाता है. ये बार पुणे के लॉ कॉलेज रोड में स्थित है.
वीडियो में देखिए लॉ कॉलेज रोड के ऑक्सीजन बार की एक झलक-
किसने शुरू किया ये बार- पुणे के O24U (ऑक्सीजन बार) के संस्थापक तुषार खोमने हैं. इस बार में लोग 15 मिनट या अधिक से अधिक 30 मिनट तक ऑक्सीजन ले सकते हैं. 25 साल के ऑटोमोबाइल कंपनी में जॉब करने के बाद तुषार खोमने ने 'उज्जवल हेल्थ सोलुशन' नाम से एक कंपनी शुरू की. इसी कंपनी के माध्यम से एक साल रिसर्च करने के बाद तुषार ने ऑक्सीजन हेल्थ बार का मॉडल विकसित किया. इस बार को खोले हुए 1 साल ही हुआ है लेकिन यहां रोजाना 10 से लेकर 25 तक की संख्या 1 में लोग आते है.
कैसा है यहां का माहौल- तुषार ने अपने ऑक्सीजन बार में ऐसा माहौल बनाया है कि लोगों को यहां आकर मजा आए और वे रिलैक्स फील करें. लोग यहां आराम से म्यूजिक थेरेपी लेते हुए अपनी जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन के सेशन लेते हैं.
कैसे दी जाती है ऑक्सीजन तुषार खोमने से जब एबीपी न्यूज़ ने बातचीत के दौरान जाना कि क्या वो डॉक्टर की सलाह पर लोगों को ऑक्सीजन देते हैं, तो इसके बारे में उनका कहना था कि हम मेडिकल एडवाइस के जरिए ऑक्सीजन नहीं देते बल्कि ये रिक्रिएशनल ऑक्सीजन होती है. तीन तरह की ऑक्सीजन होती है- मेडिकल ऑक्सीजन, नैचुरल ऑक्सीजन और रिक्रेएशनल ऑक्सीजन. हम लोगों को रिक्रेट की हुई ऑक्सीजन देते हैं. आमतौर पर रिक्रेशनल ऑक्सीजन डॉक्टर्स उन लोगों को लेने की सलाह देते हैं जिनके लंग्स कमजोर होते हैं. रिक्रिएशनल ऑक्सीजन में 21% ऑक्सीजन, 78% नाइट्रोजन और 1% अन्य गैस रहती हैं. हम शुद्ध ऑक्सीजन में वाटर बेस्ड आरोमा एड करके लोगों को म्यूजिक सुनवाते हुए इन्हेल करने के लिए देते हैं. ये बॉडी, माइंड और सोल थेरेपी है जो कि कस्टमर्स को रिलैक्स करती है.
ऑक्सीजन बार के फायदे- तुषार खोमने ने बताया कि बॉडी में आमतौर पर ऑक्सीजन लेवल पॉल्यूशन, खराब डायट और अलग-अलग बीमारियां के कारण कम होता है. ऐसे में लोग यहां आकर अगर 20 से 25 मिनट ऑक्सीजन लेते हैं तो उनकी एनर्जी बूस्ट हो जाती है. माइंड रिलैक्स हो जाता है. प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बच जाते हैं. बैड एयर से बच जाते हैं. इतना ही नहीं, ऑक्सीजन बार में आकर लोगों की फीजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों बेहतर होती हैं. साथ ही ये हैंगओवर, सिरदर्द और माइग्रेन के लोगों के लिए नैचुरल होम रेमेडी है. साइनस के मरीजों और नींद ना आने की समस्या से परेशान लोगों के लिए भी यहां आना फायदेमंद है. यहां कुछ लोग ऐसे भी आते हैं जो दिनभर एसी में बैठते हैं और खुली हवा में सांस नहीं ले पाते. ऐसे लोगों को यहां आकर बहुत अच्छा महसूस होता है.
उन्होंने आगे कहा कि अक्सर देखा गया है कि जिम जाने या अधिक एक्सरसाइज करने वाले लोगों को ब्रीदिंग प्रॉब्लम होती है तो वो लोग भी यहां आकर शुद्ध ऑक्सीजन लेते हैं. यहां लोग अपना ब्लड प्रेशर भी नॉर्मल करने आते हैं. आमतौर पर 25 से 60 साल तक के लोग अलग-अलग कारणों से यहां आते हैं.
कैसे इस्तेमाल की जाती है ये ऑक्सीजन- 90 से 95 प्रतिशत शुद्ध ऑक्सीजन को लोग ऑक्सीजन पाइप से नेजल ट्यूब के जरिए अंदर लेते हैं. ऑक्सीजन में अलग-अलग तरह के आरोमैटिक फ्लेवर मौजूद हैं. 10 मिनट की ऑक्सीजन थेरेपी में लोग रिफ्रेश हो जाते हैं. 20 मिनट की थेरेपी में लोग रिलैक्स हो जाते हैं और 30 मिनट की थेरेपी में लोग एकदम नया अनुभव करते हैं. शुद्ध हवा लेने के लिए 200 रुपयों से लेकर 400 रुपये देने सेशन के हिसाब से देने होते हैं.
इन जगहों पर भी शुरू होंगे बार- भविष्य में पुणे एयरपोर्ट, मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट और दिल्ली में भी इस ऑक्सीजन हेल्थ बार को शुरू करने की प्लानिंग की जा रही है.
क्या कहता है मेडिकल साइंस- हालांकि मेडिकल इस तरह के बार के खिलाफ है उनके मुताबिक, ह्यूमन बॉडी को 90 से 95 पर्सेंट ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती. ऑक्सीजन की अधिक मात्रा फेफड़ों को खराब कर सकती है.
मेडिकल के मुताबिक, अस्थमा और श्वसन रोग वाले व्यक्तियों को बहुत ज्यादा ऑक्सीजन नहीं लेनी चाहिए. इससे उन्हें फायदा होने के बजाय नुकसान ही होगा. इतना ही नहीं, अधिक ऑक्सीजन लेने से लंग्स डैमेज हो सकते हैं. एफडीए (Food and Drug Administration's) भी इस संबंध में चेतावनी देते हैं कि कुछ स्थितियों में फ्लेवर्ड ऑयल की बूंदों को सूंघा जा सकता है जो कि फेफड़ों की सूजन को कम करता है. लेकिन अधिक ऑक्सीजन आपकी सेहत और लंग्स के लिए फायदेमंद नहीं है.
सबसे पहले कहां शुरू हुआ ऑक्सीजन बार- कनाडा में सबसे पहले 1996 में The O2 Spa Bar ऑक्सीजन बार की शुरूआत हुई थी. इसके बाद इस कल्चर को न्यूयॉर्क, कैलिफ़ोर्निया, फ्लोरिडा, लास वेगास और रॉकी माउंटेन में फॉलो किया गया. यहां लोग प्लास्टिक नली के माध्यम से ऑक्सीजन को अपने नाक में डाल लेते थे. इन जगहों पर ऑक्सीजन बार का कल्चर इतना मशूहर हुआ कि अब ये नाइटक्लब, सैलून, स्पा, हेल्थ क्लब्स, रिज़ॉर्ट, रेस्तरां, कॉफ़ी हाउस, बार, एयरपोर्ट, योगा स्टूडियो, कैसिनो जैसे कई स्थानों में देखा जा सकता है. साथ ही ये कल्चर प्राइवेट पार्टियों में भी पॉपुलर है. लेकिन अब इंडिया में आधुनिक जीवनशैली और कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रेट ऑक्साइड बढ़ने के कारण लोगों में श्वास लेने की समस्याएं बढ़ रही हैं.
ये एक्सपर्ट और रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.