बुढ़ापे में गिरने और फिसलने का रहता है अधिक खतरा, इस तरह करें बुजुर्गों की रक्षा
बुढ़ापे में गिरने और फिसलने का अधिक खतरा रहता है. ये जोखिम बुजुर्गों की देखभाल को महत्वपूर्ण बना देता है. बुजुर्गों में हड्डियों और मसल की बढ़ती खराबी से होती है समस्या.
हड्डियों और मसल की बढ़ती खराबी से बुजुर्गों को गिरने और दुर्घटनाओं का अधिक जोखिम होता है. घर पर बुजुर्ग शख्स के होने का मतलब है घर को दुर्घटना मुक्त बनाना. उनके लिए भी गिरने से बचने की देखभाल करना किसी बच्चे का देखभाल करने की तरह जरूरी है. फिसलना और गिरना किसी बुजुर्ग के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकते है, जिससे जांघ में फ्रैक्चर, चोट और यहां तक कि भयावह सिर और मस्तिष्क आघात का डर रहता है. इसलिए जरूरी हो जाता है कि कुछ एहतियाती उपाय घर में किए जाएं. भारत में बुजुर्गों की देखभाल की सेवा उपलब्ध कराने पुनीता खट्टर के मुताबिक घर पर गिरने और फिसले की रोकथाम के लिए बुनियादी सुधार किए जा सकते हैं.
फ्लोर
कोई ढीला कार्पेट नहीं, फटा हुआ कालीन हटा दें, ढीले कार्पेट के किनारों को जमीन से बांधें. जगह को जहां तक संभव हो सके खुला रखें. सुनिश्चित करें कि हॉल, सीढ़ियों को अच्छी तरह रोशन करना और किताब या जूते को साफ करना. घर में सीढ़ी होने की सूरत में बिजली का बल्ब ऑन करें. नन-स्लीप फुटवेयर को पहनें.
बाथरूम
बिस्तर से करीब लैंप को रखना जहां से पहुंचना आसान हो. फोन को बिस्तर के पास रखा जाना चाहिए. बिस्तर बहुत ऊंचा नहीं होना चाहिए. रात की लाइटिंग हो ताकि बुजुर्ग शख्स खड़ा होने पर देख सके.
किचन
निचली अलमारी पर अक्सर सामान को रखा जाना चाहिए. स्टेप टूल के तौर पर कुर्सी का कभी इस्तेमाल न करें. घर से बाहर निकले पर ढीले-ढाले कपड़े पहनें. डॉकटर की सलाह पर वाकिंग स्टिक दें. बुजुर्गों के साथ किसी को जरूर रहना चाहिए.
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