Kanjeevaram Saree: भारत की संस्कृति में यूं तो कई विविधताएं हैं, लेकिन एक चीज़ है जो उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक सामान्य और लोकप्रिय है. यह है साड़ी. इनमें बनारसी और कांजीवरम साड़ियां दुनियाभर में काफी मशहूर हैं और यही वजह है कि इनके नाम पर ग्राहकों के साथ धड़ल्ले से ठगी भी की जाती है. अगर आप भी ऐसी साड़ियों की शौकीन हैं, लेकिन नहीं जानती कि इनके असली होने की पहचान क्या है, तो परेशान न हों. हम आपको बताने जा रहे हैं कि असली कांजीवरम और बनारसी साड़ियों की पहचान क्या है. इसकी मदद से अगली बार जब आप शॉपिंग पर निकलेंगी तो आपको ठगी का शिकार नहीं होना पड़ेगा.
असली कांजीवरम साड़ी की पहचान क्या है?
कांजीवरम साड़ियां अपनी रेशमी बनावट, बारीक पैटर्न और खूबसूरत रंगों के लिए जानी जाती है, जिन्हें कुशल कारीगरों द्वारा शुद्ध शहतूत के रेशम से हाथों से बुना जाता है,जिसकी वजह से इनकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है. ऐसे में कांजीवरम पहनने की चाह रखने वाली हर महिला की इच्छा को पूरा करने के लिए मार्केट में इसकी सस्ती कॉपियां भी बनने लगीं. इसलिए, मोटी रकम देकर भी धोखाधड़ी से बचने के लिए यह जानना जरूरी है कि शुद्ध कांजीवरम रेशम साड़ी की पहचान कैसे की जाए.
1. गुणवत्ता की मुहर
असली कांजीवरम साड़ी की पहचान करने का सबसे पहला और आसान तरीका है कि उसपर लगे सिल्क मार्क को देखें, जो भारतीय सिल्क मार्क संगठन द्वारा गुणवत्ता की जांच करने के बाद जारी की जाती है. यह ग्राहकों को आश्वस्त करता है कि उनके पास असली रेशम से बनी कांजीवरम साड़ी है.
2. डिजाइन और पैटर्न
आमतौर पर कांजीवरम साड़ियों में बड़े डिजाइन्स और पैटर्न देखने को मिलते हैं. जबकि असली कांजीवरम साड़ियों पर बुने गए डिजाइन और पैटर्न बेहद बारीक होते हैं. इसके अलावा इनपर हाथ से की गई बारीक कढ़ाई भी देखने को मिलती है. वहीं, नकली साड़ियों पर मशीन की मदद से आसान और सरल डिजाइन तैयार किए जाते हैं. इतना ही नहीं असली कांजीवरम साड़ी की परख उसके पिछले हिस्से से भी की जा सकती है. साड़ी के पल्लू की दूसरी तरफ अगर धागे नजर आते हैं, तो यह असली कांजीवरम है.
3. साड़ी का वजन और धागे की क्वालिटी
यह एक बहुत बड़ा मिथक है कि साड़ी जितनी भारी होगी, वह उतनी अच्छी होगी. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है. असली कांजीवरम साड़ियां भारी नहीं होती हैं क्योंकि इसमें अधिकतर सिल्क का इस्तेमाल होता है. प्योर कांजीवरम साड़ी बेहद हल्की होती है, वहीं नकली साड़ियों में मिक्स सिल्क का इस्तेमाल होता है, जिससे उनका वजन बढ़ जाता है. इसलिए साड़ी को खरीदने से पहले उसका वजन जरूर चेक कर लें. इसके अलावा प्योर सिल्क से बनी कांजीवरम साड़ी में चमकदार और महीन धागों का इस्तेमाल होता है, जो काफी मजबूत होते हैं, तो वहीं दूसरी ओर नकली कांजीवरम में सस्ती क्वालिटी के धागों का इस्तेमाल होता है, जो जल्दी टूट जाते हैं.
असली बनारसी साड़ी की पहचान क्या है?
बनारस के घाट जितने मशहूर हैं, उतनी ही लोकप्रियता यहां कि साड़ियों को भी हासिल है. यह साड़ियां में खुद में एक विरासत को समेटे हुए है. लेकिन अफसोस की बाजार में मौजूद सस्ती बनारसी साड़ियां ग्राहकों को उनकी असल खासियत से रू-ब-रू होने से रोक देती हैं. अगर आप भी बनारसी साड़ी लेने की चाह रख रही हैं, तो यहां कुछ बातों का ध्यान रखकर आप असली और नकली की पहचान मिनटों में कर सकती हैं.
1. साड़ी की बुनाई
बनारसी साड़ी खरीदते समय उसके पिछले हिस्से को जरूर देखें. करघे से बुनी गई असली बनारसी साड़ियों के ताने-बाने आपस में मिले जुले रहेंगे. जबकि मशीन से बुनी गई साड़ियों की फिनिश बिल्कुल स्मूथ होगी.
2. पिन मार्किंग
असली बनारसी साड़ियों को करघों पर बुनते वक्त सुरक्षित रखने के लिए पिन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके निशान बाद में भी साड़ियों पर नजर आते हैं. ये आमतौर पर साड़ी के किनारों पर नजर आते हैं.
3. गुणवत्ता की मुहर
शुद्ध रेशम से बनी बनारसी साड़ी के साथ सिल्क मार्ट लोगो का अधिकृत सर्टिफिकेट भी होता है, जो उसकी शुद्धता की पुष्टि करता है. आप भी साड़ी खरीदते वक्त इसका ध्यान रखें.
4. धागे की क्वालिटी
साड़ी खरीदते वक्त रेशम की गुणवत्ता की जांच करें क्योंकि बनारसी साड़ियां अच्छी क्वालिटी की सिल्क से बनी होती हैं. ये रेशम चमकदार, नरम और चिकनी बनावट के होते हैं. अगर आपको रेशम सूखा या खुरदरा लगे, तो इसका मतलब रेशम में मिलावट है.
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