बंगाल की ये 3 साड़ियां जरूर होनी चाहिए आपके पास, सरकार से भी मिल चुका है GI टैग
इस साल की शुरुआत में, पश्चिम बंगाल की हथकरघा साड़ियों की तीन किस्मों - टैंगैल, कोरियल और गराड - को जीआई टैग दिया गया है. आइए एक नजर डालते हैं कि साड़ी की इन तीन किस्मों को क्या खास बनाता है.
पश्चिम बंगाल की टैंगेल, कोरियल, गराड जैसी हथकरघा साड़ियां अपने बारीक डिजाइन और भव्य रेशमी क्रिएटिविटी के साथ समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करती हैं. वहीं, जबसे इन्हें जीआई टैग मिला है तब से इनकी अनूठी विशेषताएं, बंगाल की कलात्मक विरासत और शिल्प कौशल को बढ़ावा देने के लिए और भी कई रास्ते खुल गए हैं, जो इसकी पारख रखने वाले लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं. वहीं, ग्लोबली भी अब इनकी खूब डिमांड बढ़ने लगी है. अगर आप इन साड़ियों के बारे में नहीं जानते, तो पढ़िए ये पूरी खबर.
बंगाल की मशहूर साड़ियां
इस साल की शुरुआत में, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि पश्चिम बंगाल की हथकरघा साड़ियों की तीन किस्मों - टैंगैल, कोरियल और गराड - को प्रतिष्ठित जीआई टैग दिया गया है. आइए एक नजर डालते हैं कि साड़ी की इन तीन किस्मों को क्या खास बनाता है.
1. तांगेल साड़ियाँ, जो अपनी उत्कृष्ट शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं, नादिया और पूर्व बर्धमान जिलों में बुनी जाती हैं. इस तरह की सूती साड़ियों को रंगीन धागों का इस्तेमाल करके काफी बारीक ताना-बाना डिज़ाइन किया जाता है, जो प्रसिद्ध जामदानी साड़ियों की याद दिलाती हैं लेकिन एक सरल शरीर के हिस्से के साथ.
2. कोरियल साड़ियां, बनारसी साड़ियों की तर्ज पर बनाई जाती हैं. इसे सफेद या क्रीम बेस पर भारी सोने और चांदी की सजावट वाली भव्य रेशम के धागों से सजाया जाता है. मुर्शिदाबाद और बीरभूम में बुनी जानी वाली ये शानदार साड़ियां अपनी खूबसूरत बॉर्डर्स और हेवी पल्लू के साथ दिखाई देती हैं.
3. गराड रेशम साड़ियां, बंगाल की पहचान मानी जाती हैं. सादे सफेद साड़ी पर हेवी लाल बॉर्डर से तैयार की गई इन साड़ियों को पारंपरिक रूप से दुर्गा पूजा के दौरान पहना जाता है, जिसकी वजह से इसे पूरी दुनिया में एक अलग पहचान हासिल है.
इस साल जनवरी में, ममता बनर्जी ने कारीगरों के समर्पण और कौशल के लिए उनकी सराहना करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां जीआई (GI) टैग मिलने का श्रेय उन्होंने कारीगरों की कड़ी मेहनत और शिल्प कौशल को दिया. यह घोषणा पश्चिम बंगाल की हथकरघा साड़ियों की समृद्ध विरासत और कलात्मक विरासत को रेखांकित करती है.
अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कलात्मक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध बंगाल, उत्कृष्ट साड़ियों का खजाना समेटे हुए है, जो अपनी जटिल शिल्प कौशल और कालातीत सुंदरता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं. सबसे प्रमुख में प्रसिद्ध बालूचरी साड़ियाँ हैं, जो प्रकृति से प्रेरित होती हैं और इनपर पौराणिक कथाओं से जुड़े दृश्यों चित्रित किया जाता है. एक और साड़ी है, जो रत्नों जैसी नाजुक होती है और वह जामदानी साड़ी. इसपर काफी बारीक और जटिल काम किया जाता है, जो हाथों से बुने हुए होते हैं. इस साड़ी को बनाने के लिए महीन मलमल के कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें अक्सर फ्लोरल पैटर्न और ज्यामितीय डिजाइन होते हैं.
इसके अलावा, यहां महीन कपास से तैयार की गई पारंपरिक तांत की साड़ियों को भी खूब पसंद किया जाता है. इन रंग बिरंगे और जटिल धागे का काम किया जाता है, जो उन्हें रोजमर्रा के पहनने के साथ-साथ विशेष अवसरों के लिए भी उपयुक्त बनाती हैं. अपनी अद्वितीय और अद्भुत सुंदरता और शिल्प कौशल के चलते, बंगाल की साड़ियाँ दुनिया भर के बेहतरीन वस्त्रों के पारखी लोगों को आकर्षित करती रहती हैं.