Afhgani Samosa: समोसा हिन्दुस्तान के प्रिय व्यंजनों में से एक है. हर उम्र के लोगों के समोसा पसंद है. समोसा चाहे चाय के साथ हो या चटनी के साथ, समोसा का अपना मजा है. अमूमन आपने समोसे में आलू, पनीर,मटर या चाऊमीन भरा हुआ देखा होगा, लेकिन आपको जानकर अनोखा लगेगा कि दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में  अफगान अलनसीब नाम से एक रेस्टोरेंट है इसके संचालक लोगों को अफगानी समोसा खिला रहे हैं. 

आलू की जगह चिकन की स्टफिंग
यह अफगानी समोसा चिकन से बनाया जाता है जो कि खाने के साथ-साथ बनाने में भी काफी यूनिक होता है. इस अफगानी समोसे में आलू कि जगह चिकन की स्टफिंग होती है. जिसको तीन तरह की चटनी के साथ परोसा जाता है. 


क्यों खास है समोसा
समोसे के शेफ 'गायस' ने बताया कि इस रेसिपी में समोसे को तेल में तला नहीं जाता है, बल्कि इसे ओवन में ही बेक किया जाता है. इसके बाद उसके ऊपर सफेद तिल और कलौंजी डाली जाती है. वहीं इस दुकान पर समोसे को खाने के लिए लोगों की हमेशा भीड़ लगी रहती है. इस समोसे की कीमत की बात करें, तो यहां पर समोसा 30 रुपये में मिल जाएगा.


इसका स्वाद चखने के लिए आपको अफगान अलनसीब रेस्त्रां आना होगा जोकि शाहीन बाग में स्थित है. दोपहर 12 बजे से लेकर रात के 12 बजे तक ये जगह खुली रहती है. नजदीकी मेट्रो स्टेशन जसोला विहार शाहीन बाग है.  


समोसे का इतिहास भी समझ लीजिए
समोसे का इतिहास भी काफी पुराना है. समोसा ईरान से भारत आया था. फारसी में इसका नाम 'संबुश्क' था, और भारत आते-आते समोसा कहा जाने लगा बिहार और पश्चिम बंगाल में इसे सिंघाड़ा भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि शेप में ये पानी फल सिंघाड़े से मिलता जुलता दिखाई पड़ता है. भारत में ही आकर समोसा का साइज तिकोना हुआ. 16वीं शताब्दी में जब पुर्तगाली भारत समोसा लेकर आए तब से इसमें आलू भरा जाने लगा. उससे पहले अरब के देशों में समोसे के आलू की जगह मेवा भरा हुआ होता था. एक फूड सर्वे के मुताबिक भारत में 5-7 करोड़ समोसे रोजाना खाए जाते हैं. 


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