बहुत ज्यादा जंक फूड का सेवन बच्चों में नींद की गुणवत्ता को खराब बना रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड की तरफ से किए गए रिसर्च में खुलासा हुआ है. क्वीसलैंड यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर असद खान का कहना है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स और फास्ट फूड का लगातार इस्तेमाल दुनिया भर के किशोरों में नींद की खराबी से जुड़ा हुआ है.
जंक फूड का ज्यादा सेवन बच्चों की नींद को कर रहा खराब
उन्होंने कहा, "ये पहला रिसर्च है जिसके जरिए गैर सेहतमंद डाइट और तनाव से संबंधित नींद की गड़बड़ी को वैश्विक स्तर पर 64 देशों के हाई स्कूल के छात्रों में समझने की कोशिश की गई है." उनका कहना है कि कुल 7.5 फीसद किशोरों ने तनाव से संबंधित नींद की गड़बड़ी की शिकायत की, जो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा आम समस्या थी. रिसर्च से पता चला कि बहुत ज्यादा लगातार सॉफ्ट ड्रिंक्स का इस्तेमाल करनेवालों में नींद की खराबी बढ़ जाती है, जिसमें अक्सर कैफीन, फास्ट फूड्स शामिल है.
खानपान के व्यवहार में आए बदलाव पर रिसर्च से खुलासा
शोधकर्ता का कहना है कि प्रति दिन तीन से ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक्स पीनेवाले बच्चों में नींद की गड़बड़ी का प्रतिशत एक दिन में सिर्फ एक सॉफ्ट ड्रिंक पीनेवालों के मुकाबले ज्यादा था. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति सप्ताह चार दिन से ज्यादा फास्ट फूड्स खानेवाले पुरुषों में नींद के प्रभावित होने का प्रतिशत एक सप्ताह में सिर्फ एक बार फास्ट फूड खानेवालों के मुकाबले महिलाओं में 49 फीसद अधिक पाया गया. एक दिन में तीन बार से ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक्स का लगातार इस्तेमाल और सात दिन में चार दिन से ज्यादा फास्ट फूड स्पष्ट तौर पर सभी गरीब मुल्कों में नींद की खराबी से जुड़ा हुआ था.
रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने डेटा को विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2009 और 2016 के बीच किए गए सर्वेक्षण से हासिल किया था. सर्वेक्षण में 12-15 साल की उम्र वाले 1 लाख 75 हजार 261 छात्रों को शामिल किया गया और 64 मुल्कों की लिस्ट में गरीब, अमीर और मध्य आमदनी वाले अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्से, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी भूमध्यसागर के देश थे. शोधकर्ता डॉक्टर असद खान के मुताबिक, अमीर देशों के बच्चों में लगातार सॉफ्ट ड्रिंक्स का इस्तेमाल और नींद की खराबी के बीच सबसे ज्यादा संबंध था. इन देशों की महिलाओं में फास्ट फूड का नियमित सेवन और नींद की समस्याओं के बीच सबसे ऊंचा संबंध देखा गया.
डॉक्टर खान ने बताया कि योजना और नीतियां बनाते वक्त इन गैर सेहतमंद व्यवहारों को प्राथमिकता की बुनियाद पर रखे जाने की जरूरत है. तनाव से जुड़ी नींद में बाधा की समस्या लड़कों के मुकाबले लड़कियों में ज्यादा थी. इसलिए स्कूल का वातावरण ऐसा बनाया जाना चाहिए जिससे सॉफ्ट ड्रिंक्स और फास्ट फूड तक पहुंच को सीमित किया जा सके. परिवार का भी सेहतमंद खानपान की आदतों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका हो सकती है क्योंकि बच्चों के खानपान के व्यवहार उनके पारिवारिक माहौल से प्रभावित होते हैं.
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