नई दिल्ली: प्याज की कीमतें लोगों की आंखों से आंसू निकाल रही हैं. देश के कई राज्यों में प्याज की कीमतें 100 रुपये प्रति किलो से पार हो गईं है. लेकिन यह भी सही है कि प्याज भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है और इसके बिना अधिकतर घरों में सब्जी बनती नहीं है. ऐसे में यहां जानते हैं- प्याज से जुड़ी कुछ खास बातें.
बता दें कि प्याज का इतिहास चार हजार साल पुराना है. जब नदियों के किनारे सभ्यताएं विकसित हो रही थी तभी से खाने में प्याज का इस्तेमाल होता आ रहा है. दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में एक मेसोपोटामिया के समय में भी प्याज के सेवन करने के साक्ष्य मिलने की बात कही गई है. पाक कला से जुड़ी प्रचीन किताब में प्याज से बनी सब्जियों का जिक्र प्याज मिलता है. यानि भोजन में प्याज का प्रयोग आज से नहीं है बहुत पुराना है.
इतिहास के जानकार मानते हैं कि प्याज मध्य एशिया से पूरी दुनिया में पहुंचा. सिल्क रूट से भी प्याज का व्यापार होता था.दुनिया के कुल 45 फीसदी प्याज का उत्पादन भारत और चीन करता है. हालांकि, चीन का प्याज भारत में भी उपलब्ध है कि लेकिन स्वाद के मामले में यह कम पसंद किया जाता है. दुनिया के 175 देशों में प्याज की खेती की जाती है. लेकिन चौकाने वाली बात है कि प्याज का सबसे अधिक इस्तेमाल भारत या चीन नहीं करता है बल्कि लीबिया में सबसे अधिक प्याज का सेवन किया जाता है. यहां हर व्यक्ति सालाना 33 किलो प्याज खा जाता है.
प्याज के मामले में भारत की स्थिति दुनिया के अन्य देशों से बहुत जुदा है.अगर भारत में प्याज के दाम बढ़ने लगें तो समझें कि मुसीबत आने वाली है. प्याज की कीमतें देश की राजनीति की दिशा और दशा को भी तय करती है जो कहीं और देखने को नहीं मिलता है. इसीलिए हर सरकार प्याज की कीमतों पर कड़ी निगरानी रखती है.
भारत में प्याज की खपत प्रतिदिन 50 लाख मेट्रिक टन है. इसमें से 12 लाख टन अकेले महाराष्ट्र से आता है. देश के 26 राज्यों में प्याज का उत्पादन होता है. इस समय देश में प्याज सेब से अधिक मंहगा है. सेब जहां 80 रुपये प्रति किलो मिल रहा वहीं प्याज 100 रुपये प्रति किलो है. प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने 1.2 लाख टन प्याज का आयात करने का फैसला किया है.