ये तो आप जानते हैं चूरा से पोहे बनते हैं, लेकिन चूरा कैसे बनता है यह पूरा प्रोसेस आपने देखा है क्या?
पोहा भारत के लगभग हर हिस्से में खाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है..जानिए इसके बारे में
Poha Making Process: पोहा भारत के लगभग हर हिस्से में खाया जाता है. कोई इसे चूड़ा दही के साथ खाता है तो कोई नमकीन पोहा बनाकर खाता है. यूपी, एमपी, बिहार अलग अलग राज्यों में इसे खूब पसंद किया जाता है. दरअसल ये बहुत हल्का नाश्ता होता है और बनाना भी बहुत ही आसान होता है. इस वजह से लोग ये खाना खूब प्रेफर करते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता होता है कि आखिर यह बनता कैसे है. कई लोगों का मानना होता है कि इसे चावल से बनाया जाता है,चावल को पीट-पीटकर बनाया जाता है..लेकिन इसका जवाब है धान, यह धान से बनता है. यानी चावल का दाना जब छिलके के साथ होता है तभी इसे बनाया जा सकता है. इसे बनाने में चावल के छिलके का बहुत अहम रोल है..आइए जानते हैं इसे बनाने का प्रोसेस..
धान से पोहा बनाने का प्रोसेस
- सबसे पहले इसकी शुरुआत धान या पैडी से होती है. फैक्ट्री में धान लाया जाता है, इसे इसके छिलके के साथ ही रखा जाता है.
- अब इसकी सफाई और धुलाई छिलके के साथ ही की जाती है.
- इसकी सफाई के बाद इसे पानी में भिगोकर 8 घंटा रखा जाता है फिर इसे पानी से निकलने के बाद 16 घंटे ऐसे ही फैला के छोड़ दिया जाता है.
- इसके बाद धान या पैडी को रोस्टर में डालकर हाई टेंपरेचर पर भुना जाता है,इसे प्रेस किया जाता है.
- गरम पैडी को पोहा मशीन में डाला जाता है जहां पैडी का छिलका अलग हो जाता है और मोटा पोहा बनता है
- इस पोहे को छन्नी में क्लीन होने के लिए डाला जाता है.
- क्लीन होने के बाद पोहे को फ्लेकर मशीन में डाला जाता है जहां पर इसे पतला किया जाता है.
- अलग-अलग मोटाई के पोहे बनाने के लिए अलग-अलग फ्लेकर इस्तेमाल किए जाते हैं.
- पैडी फ्लेकर से निकलने तक 60 फ़ीसदी ही पोहा बचता है. बाकी 40 फीसदी छिलका और टुकड़े भूसी निकल जाते हैं
- अब यहां से इसे पैक कर के बाजार में बेचने के लिए भेजा जाता है.
- वैसे तो यह पोहा बनने के बाद भूरे रंग का होता है लेकिन कई कंपनियां अच्छा दिखाने के चलते सफेद रंग का इस्तेमाल करती हैं.
- अगर आप मार्केट जाते हैं और भूरे रंग वाला पोहा आपको दिखाई देता है तो इसे लेना ही प्रिफर करें, क्योंकि यह क्वालिटी में ज्यादा बेहतर होता है.
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