How Long You Should Soak Lentils Before Cooking: दाल हर भारतीय की थाली का अहम हिस्सा है. बस इसे पकाने के तरीके अलग अलग हैं. कोई फ्राई दाल खाना पसंद करता है तो कोई सादी. साउथ में सांभर के रूप में दाल खाने का चलन है. एक दाल के कई रूप हैं. दाल की जगह अगर कभी कभी कोई ले पाता है तो वो हैं राजमा और छोले. जिन्हें पकाने से एक रात पहले ही भिगा दिया जाता है. लेकिन दाल बनाते समय ऐसा नहीं करते. दाल तो सीधे डिब्बे या पैकेट से निकाल कर कूकर में रख दी जाती है. ताकि पक जाए. जबकि दालों को भी बिना भिगोए कभी नहीं बनाना चाहिए.


क्यों जरूरी है दाल भिगोना?


दालों को भिगा कर बनाने से पेट से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है. दाल भिगा कर बनाने से ये ज्यादा पाचक हो जाती है. जिसके बाद पेट में भारीपन जैसी समस्याएं नहीं होतीं.


दाल भिगोने से इसमें एमाइलेज कंपाउंड एक्टिव होते हैं जो दाल में मौजूद स्टार्च को पचने में आसान कर देते हैं. ऐसी दाल खाने पर पेट फूलने जैसी शिकायतें नहीं होतीं.


दाल में ऑलिगोसैकेराइड्स नाम के तत्व भी होते हैं. जो भिगो कर रखने पर कम हो जाते हैं. जिससे गैस की शिकायत नहीं होती.


कितनी देर भिगाएं दाल?


दाल अगर चने, उड़द या मसूर जैसी है तो इसे बनाने से कम से कम दो घंटे पहले भिगो दें. दूसरी दाल जैसे तुअर, मूंग दाल को पकाने से आधा घंटा पहले भिगोना भी काफी है.


दाल भिगोने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि आप दो तीन बार इन्हें पानी से धोने के बाद ही भिगोकर रखें.


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