(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
शाहजहां की बेगम मुमताज महल की डिस्कवरी है ये सीक्रेट रेसिपी, आज हर घर में बनती है
Food Story: अच्छा खाना-पीना बेहतरीन शौक में शामिल है. आज आपसे साझा कर रहे हैं एक ऐसी ही पॉपुलर डिश और उसका रोचक किस्सा, जिसको डिसकवर करने का श्रेय शाहजहां की बेगम मुमताज महल को जाता है.
The History of Biryani: कहते हैं शौक बड़ी चीज है, और अच्छा खाना-पीना शौकिया चीज है. खाना सिर्फ जिन्दा रहने या ऊर्जा के लिए जरूरी नहीं है. खाने पीने के शौकीन लोग इस बात से वाकिफ हैं कि जिन्दगी का मजा तो जाएके में है. मसाले, तेल, तजुर्बा और प्यार, ये सब अच्छे खाने के इंग्रेडिएंट्स हैं. वेज खाने के व्यंजनों का अपना जलवा है, तो वहीं मांसाहार में गोश्त और उससे बने हुए सैकड़ों तरह के लजीज व्यंजनों के अपने तेवर. जिसके अनगिनत दीवाने हैं. आज ऐसी ही एक नॉनवेज डिश के बारे में आपको दिलचस्प किस्सा बताते हैं, जिसकी रेसिपी का क्रेडिट शाहजहां की बेगम, मुमताज महल को जाता है. वो लजीज और अति लोकप्रिय डिश है 'बिरयानी'.
बिरयानी का इतिहास
बिरयानी नाम का मूल फारसी "बिरंज बिरियां" से पता लगाया जा सकता है - शाब्दिक रूप से कहें तो तले हुए चावल. बिरयानी दक्षिण एशिया के मुसलमानों के बीच एक मिश्रित चावल का व्यंजन है. भारतीय मसालों, सब्जियों, चावल और आमतौर पर कुछ प्रकार के मांस के साथ बनाया जाता है. वहीं कुछ मामलों में मांस के बिना और कभी-कभी अंडे और आलू के साथ भी बिरयानी पकाई जाती है.
बिरयानी दक्षिण एशिया में सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है. इसी तरह के व्यंजन दुनिया के अन्य हिस्सों जैसे इराक, म्यांमार, थाईलैंड और मलेशिया में भी तैयार किए जाते हैं. बताते चलें कि बिरयानी भारतीय ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग और डिलीवरी सर्विस पर सबसे अधिक ऑर्डर किया जाने वाला डिश है और इसे भारत में सबसे लोकप्रिय डिशेज में लेबल किया गया है.
बिरयानी के आविष्कार की दिलचस्प दास्तान
बात मुगलिया समय (1526-1857) की है. उस वक्त शाहजहां हिन्द के बादशाह थे. और मुमताज महल, महारानी. मुमताज महल को खाने पीने का शौक था, लिहाजा वो अक्सर शाही रसोई का दौरा किया करती थीं. एक दफा रसोई की तरफ जाते हुए उन्होंने देखा कि मुगलिया सैनिक बड़े कमजोर से दिख रहे हैं और उन्हें पौष्टिक खाने की जरूरत है. इसके मद्देनजर उन्होंने शाही बावर्ची को आदेश दिया कि कुछ ऐसा बनाया जाए जिसमें चावल हो और मांस हो. जिससे सैनिकों को भरपूर ताकत मिले.
शाही बावर्ची ने ऐसा ही किया और खड़े मसाले, चावल और मांस से एक डिश तैयार किया जिसे फारसी जबान में 'बिरयानी ' कहा जाने लगा. आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि मुगल काल तक हल्दी, मिर्च, धनिया जैसे कोई मसाले नहीं थे. मिर्च 18वीं शताब्दी में मराठों के साथ दिल्ली पहुंची और हल्दी ब्रिटिशर्स के साथ भारत आई सो जितने भी शाही मुगल व्यंजन हैं वो उस वक्त मसाले रहित थे.