Pulses And Legumes Soaked: हम सभी के घरों में रोजाना खाने में दाल बनती है. इसके अलावा हफ्ते में 1-2 दिन राजमा, छोले, मटर या कोई दूसरी ऐसी सब्जी बनती है जिसे भिगोकर बनाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कौन की दाल या फिर फलियों को कितनी देर भिगोना चाहिए. दालों को भिगोकर खाने से क्या फायदे मिलते हैं. अगर नहीं तो आइये जानते हैं.


दालों और फलियों को भिगोकर खाने के फायदे


दरअसल दाल या फिर राजमा, छोले और मटर जैसी चीजों को हमेशा भिगोकर ही बनाना चाहिए. इससे इनके पोषक तत्व काफी बढ़ जाते हैं और आपको इन्हें ओवर कुक करने की जरूरत नहीं होती है. भिगोकर इस्तेमाल करने वाली इन चीजों को पचाने में भी आसानी होती है. भिगोने से फलियों में जान आ जाती है. इस तरह फलियों से टैनिन और फाइटिक एसिड को हटाने में मदद मिलती है, जो इन फलियों के सभी पोषक तत्वों को शरीर तक पहुंचने और ब्लोटिंग का कारण बनते हैं. अगर आप दालों का भिगोकर इस्तेमाल करते हैं तो इससे इन्हें पचाना आसान होता है और गैस, ब्लोटिंग जैसी समस्याएं नहीं होती हैं. 


कौन सी दाल को कितनी देर भिगोना चाहिए?


1- साबुत दालों जैसे उड़द, मसूर, चना, अरहर को आप करीब 8 से 12 घंटे पहले भिगोकर रखें उसके बाद ही पकाएं. 
2- अगर आप स्प्लिट दाल यान दली हुई दाल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इस कम से कम आपको 6-8 घंटे भिगोना चाहिए. इसके बाद ही इस्तेमाल करें.
3- राजम, चना, छोले और सूखे मटर को आपको करीब 12-18 घंटे तक भिगोकर रखना चाहिए. 
4- इसके अलावा सबसे अच्छा उपाय है कि आपको लंच में जो दाल या इनमें से कोई चीज बनानी है तो उसे रात में भिगोकर रख दें.
5- आप जिस पानी में दालों को भिगोते हैं उसे फेंकने की बजाय अपने घर के पौधों में डाल दें. इससे पौधों को भी न्यूट्रिशियन्स मिलेंगे. 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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