चिप्स खाना ज्यादातर लोगों को बहुत पसंद होता है. क्योंकि इसका टेस्ट इतना लाजवाब होता है कि इसका इस्तेमाल कई बार मूड को अच्छा रखने के लिए भी लोग करते हैं. आपने भी कई बार चिप्स खाया होगा और यह भी पाया होगा कि इसका पैकेट कभी-भी फुल नहीं रहता. जब भी हम पैकेट खोलते हैं तो सबसे पहले इसी बात को लेकर मुंह उतर जाता है कि पैकेट हमेशा आधा ही भरा होता है. कई लोग तो यह भी बोलते सुने जाते हैं कि 'दाम इतना और काम ऐसा'. आप भले ही आधे भरे पैकेट को निर्माता कंपनी का फ्रॉड बताएं, लेकिन ऐसा करने के पीछे एक खास वजह है. जी हां, जिस चिप्स को आप चाव से खाते हैं, उसके आधे भरे होने के पीछे एक मजबूत कारण है, जिसे जानने के बाद आप कभी-भी निमार्ता कंपनी पर गुस्सा नहीं करेंगे.


दरअसल, यूके के स्नैक, नट और क्रिस्प मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के मुताबिक, पैकेट का आधा हिस्सा इसलिए खाली छोड़ा जाता है, ताकि चिप्स को ज्यादा समय तक ताजा बनाए रखा जा सके. इसके पीछे की एक वजह यह भी है कि चिप्स काफी सॉफ्ट होते हैं, जो हल्के से टच से भी टूट सकते हैं. पैकेट के फूले रहने की वजह से अंदर भरी हवा उसे टूटने से बचाने का काम करती है. साल 2017 में सीडीए एप्लायंसेज की एक स्टडी में पाया गया था कि चिप्स का पैकेट औसत 72 प्रतिशत तक खाली रहता है. जबकि केवल 28 प्रतिशत हिस्सा चिप्स से भरा होता है. 


क्यों भरी जाती है नाइट्रोजन गैस?


यह भी एक फैक्ट है कि चिप्स के खाली 72 प्रतिशत हिस्से में हवा नहीं होती, बल्कि नाइट्रोजन गैस भरी जाती है. ये नाइट्रोजन गैस चिप्स को पैकेट में टूटने से बचाती है और इसे बासी होने से भी रोकती है. स्नैक, नट और क्रिस्प मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के एक प्रवक्ता ने हाल ही में एक स्टडी के जवाब में बताया कि चिप्स को बासी होने से रोकने के अलावा, नाइट्रोजन गैस पैकेट को हानि पहुंचने से भी बचाती है. 


नहीं रहती खराब होने की संभावना


पैकेजिंग तापमान के आधार पर फैलती और सिकुड़ती भी है. इससे पैकेट में मौजूद गैस गर्म होने पर बड़ी मात्रा में और ठंडी होने पर छोटी मात्रा में हो जाएगी. 2017 की स्टडी के राइटर्स ने बताया कि चिप के पैकेट में भरी हवा चिप्स को ज्यादा समय तक ताजा रखने का काम करती है. इससे इसके खराब होने की संभावना नहीं रहती. 


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