Coronavirus: तमाम प्रयासों के बावजूद वैश्विक महामारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. नया कोरोना वायरस के हवाले से कई शोध के जरिए बताया जा चुका है कि वायरस किस सतह पर कितनी देर रह सकता है. मगर अभी तक ये बात सामने नहीं आई थी कि वायरस इंसानी त्वचा पर कितनी देर जीवित रहता है. अब इसका जवाब ढूंढने की कोशिश की गई है.
आपकी त्वचा कोरोना वायरस की है सबसे बड़ी वाहक
वैज्ञानिकों ने लैब परीक्षण के जरिए इन्फलुएंजा और कोरोना वायरस के त्वचा पर ठहरने का तुलनात्मक अध्ययन किया है. शोध के हवाले से उन्होंने नतीजा निकाला है कि आपकी त्वचा कोरोना वायरस की सबसे बड़ी वाहक हो सकती है. यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इफेक्शियस डिजीज ने जुलाई में शोध किया था. शोध के बाद बताया गया कि त्वचा खासकर हाथ की त्वचा पर कोरोना वायरस आठ घंटे से 14 दिनों तक रह सकता है. और त्वचा पर कोरोना वायरस के रहने में तापमान की बड़ी भूमिका होती है.
शोध के मुताबिक, त्वचा पर कोरोना वायरस 37 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर आठ घंटे तक रह सकता है. जबकि अगर उसे 22 डिग्री सेल्सियस का तापमान मिले तो त्वचा पर उसके ठहरने का समय 22 घंटे हो सकता है. वहीं, 4 डिग्री सेल्सियत तापमान पर कोरोना वायरस के रहने की मुद्दत 14 दिनों की हो सकती है.
इन्फलुएंजा वायरस और कोरोना वायरस का अध्ययन
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जितना ज्यादा तापमान कम होगा, त्वचा पर कोरोना वायरस के रहने का समय और ज्यादा बढ़ेगा. शोध को 'क्लीनिकल इंफेक्शीसियस डिजीज' में प्रकाशित किया गया है. जिसमें इन्फलुएंजा वायरस और कोरोना वायरस का अध्ययन कर बताया गया है कि त्वचा पर कोरोना वायरस नौ घंटे तक रहता है जबकि इन्फलुएंजा वायरस त्वचा पर रहने के दो घंटे बाद निष्क्रिय हो जाता है.
शोध के मुताबिक, जब 80 फीसद एथनॉल वाले हैंड सेनेटाइजर का इस्तेमाल किया गया तो इन्फलुएंजा वायरस और कोरोना वायरस त्वचा से 15 सेकंड के अंदर निष्क्रिय हो गए. शोधकर्ताओं का कहना है कि 80 फीसद अल्कोहल युक्त हैंड सेनेटाइजर का इस्तेमाल शरीर के अंगों में दाखिल होने से पहले वायरस को मारने में बेहतरीन साबित होता है. उनका ये भी कहना है कि साबुन और पानी से दो मिनट का हाथ धोना भी प्रभावी हो सकता है. इसलिए कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए नियमत हाथ की साफ-सफाई करनी चाहिए.
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