Glycemic Index: डायबिटीज, विशेषकर टाइप 2 डायबिटीज, भारत समेत दुनिया भर में एक आम स्वास्थ्य की समस्या है. बिना इलाज किए छोड़ने पर ये दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं जैसे दिल की बीमारी, स्ट्रोक और नसों, दिमाग, आंख और किडनी के नुकसान का कारण बन सकता है. लाइफस्टाइल में बदलाव की मदद से ब्लड शुगर लेवल को कम और डायबिटीज जैसी स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है.
कई रिसर्च के मुताबिक, जब डायबिटीज के मरीज कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली डाइट खाते हैं, तो ये न सिर्फ शुगर काबू करने में उनकी मदद करता है, बल्कि उनका वजन के साथ-साथ ब्लड प्रेशर लेवल भी कम होता है और दिल की बीमारी का जोखिम भी कम करने में मदद करता है. कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली डाइट कोलेस्ट्रोल लेवल को सुधार सकती है, कैंसर और दिल की बीमारी की आशंका को कम कर सकती है.
ग्लाइसेमिक इंडेक्स क्या है?
ग्लाइसेमिक इंडेक्स एक प्रकार का स्केल है जो 1-100 के बीच होता है और आपके ब्लड शुगर लेवल पर फूड के प्रभाव के मुताबिक नापा जाता है यानी ग्लाइसेमिक इंडेक्स वह पैमाना है जो बताता है कि फूड कितनी तेजी से और कितनी मात्रा में शुगर को बढ़ा रहा है. डायबिटीज में ग्लाइसेमिक इंडेक्स को समझकर बढ़ते शुगर लेवल पर नजर रखने में मदद मिलती है. 1980 के दशक में कनाडा के डॉक्टर जेनकिन्स ने इस स्केल को बनाया था. हर फूड का एक खास ग्लाइसेमिक इंडेक्स अंक होता है.
शुगर में ग्लाइसेमिक इंडेक्स
डायबिटीज के मरीजों को कम जीआई वाले फूड्स खाने की सलाह दी जाती है. कम जीआई वाले फूड्स शरीर में धीमी गति से अवशोषित होते हैं और पचते हैं. इनसे ना केवल ब्लड ग्लूकोज लेवल धीमी गति से बढ़ता है बल्कि इंसुलिन का लेवल भी काबू में रहता है. इसलिए डायबिटीज रोगियों को कम जीआई वाले फूड्स खाने को कहा जाता है. इसके विपरीत, अधिक जीआई वाले फूड्स ब्लड शुगर लेवल में तेजी से वृद्धि और गिरावट का कारण बन सकते हैं.
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स का अंक 55 से नीचे, मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स का अंक करीब 56-69 जबकि अधिक ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स का अंक 70 और उससे ऊपर होगा. हालांकि, इन सबके अलावा आपको खास फैक्टर जैसे खाना बनाने, पकने की प्रक्रिया का लेवल भी ध्यान में रखना चाहिए, साथ ही ये भी जानना चाहिए कि स्टॉर्च का प्रकार इंडेक्स को प्रभावित कर सकता है.
फूड पकाने के तरीके से कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी प्रभावित होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि हमारी डाइट के अधिकतर हिस्से में कार्बोहाइड्रेट्स और हमारी डाइट का बड़ा हिस्सा मौजूद होता है, इसलिए जरूरी है कि सही क्वालिटी के कार्बोहाइड्रेट्स को चुना जाए. दाल का इस्तेमाल चावल के ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करने में मदद करता है और चावल को डायबिटीज रोगियों के लिए सुरक्षित बनाता है.
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