नई दिल्लीः चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के दिन हिन्दू नववर्ष और नवरात्र की शुरूआत होती है. इसी दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा यानि मराठी-पाडवा त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन महाराष्‍ट्र में लोग अपनी हेल्‍थ और हेल्दी लाइफ के लिए प्रेयर करते हैं.

'गुड़ी' यानि विजय पताका. ऐसा कहा जाता है कि शालिवाहन नामक एक कुम्हार-पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से शत्रुओं का परास्त किया था. इसी दिन से शालिवाहन शंक का प्रारंभ इसी दिन से होता है.

गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घरों की विशेष साफ-सफाई करने के बाद घरों में रंगोली बनाते हैं. आम के पत्तों से बंदनवार बनाकर सभी घरों के आगे लगाते हैं. महिलाएं घरों के बाहर सुदंर और आकर्षक गुड़ी लगाती हैं.

गुड़ी पड़वा के मौके पर खासतौर पर पूरन पोली नामक पकवान बनता है. यानि मीठी रोटी. इसे गुड और नीम, नमक, इमली के साथ बनाया जाता है.

पूरन पोली के अलावा आज के दिन आमपन्ना, श्रीखंड, पूरी, साबूदाना वड़ा, केसरी भात, गुलाब जामून, मोदक, चावल की चकली और बटाट्याची भाजी खासतौर पर बनाई जाती है.

गुड़ी पड़वा को लेकर ये भी मान्य‍ता है कि इस दिन दक्षिण भारत को भगवान राम ने बाली के शोषण से मुक्त करवाया था.