इन्फ्लूएंजा H3N2 वायरस देश में हरकंप मचा हुआ है. खासकर दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में यह बीमारी काफी ज्यादा फैल रही है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो यह वायरस फेफड़ों में गंभीर रूप से इंफेक्शन का कारण बन रहा है. 6 महीने के अंदर इस बीमारी ने अपना पैटर्न बदल दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना में कहा गया है कि H3N2 वायरस से होने वाले संक्रमण पर हमारी पूरी नजर है. और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि मार्च के आखिरी सप्ताह में इस बीमारी के मरीज घट सकते हैं. मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि 2 जनवरी से 5 मार्च तक देश में  H3N2 के कुल 451 मामले आए हैं. 


बदल गया वायरस का पैटर्न


हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक वायरस ने अबतक काफी ज्यादा पैटर्न बदल दिया है. दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टैंट डॉ. धीरेन गुप्ता ने न्यूज एजेंसी ANI से खास बातचीत की है. जिसमें उन्होंने बताया कि पिछले 6 महीने में वायरस ने काफी पैटर्न चेंज किया है. इन्फ्लूएंजा को नंबर 1 वायरस समझते हैं जो हॉस्पिटल में एडमिट होने का कारण बन सकता है. इन्फ्लुएंजा A वायरस के सबटाइप H3N2 कि वजह से सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस से अब तक दो मौतें हो चुकी है. एक हरियाणा और एक कर्नाटक.


क्या हैं H3N2 इंफ्लूएंजा के लक्षण?


WHO के मुताबिक H3N2 से होने वाले इंफेक्शन में बुखार, खांसी, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, छाती में दर्द, गले में खराश और नाक से पानी आना आम बात है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने देश भर में खांसी, जुकाम और जी मचलने के बढ़ते हुए मामले को देखते हुए एंटीबायोटिक खपत ज्यादा बढ़ी है. IMA ने अपनी सूचना में बताया कि वायरल फिवर 5-7 दिनों तक रहेगा लेकिन बुखार 3 हफ्ते तक रह सकता है. 


लक्षण दिखने पर बरतें ये सावधानियां


ऑक्सीमीटर की मदद से लगातार ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें. अगर 95 प्रतिशत से कम है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. अगर किसी मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम हो जाएगा तो उसे तुरंत इंटेसिव केयर यूनिट में एडमिट करवाना चाहिए. खुद से कभी भी दवाई न लें. 


ये भी पढ़ें: गर्मियों में संतरे आपको रखेंगे फिट एंड फाइन... बस रोजाना नाश्ते में आपको इस तरह खाना होगा