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मेरठ में गंजों के सिर पर बाल उगाने का दावा, क्या वाकई किसी दवा से लौट सकते हैं झड़ चुके बाल
हार्मोनल असंतुलन, पोषण की कमी, तनाव और आनुवंशिक कारणों की वजह से हेयरफॉल की समस्या हो सकती है. आजकल मार्केट में इस समस्या को दूर करने की कई दवाईयां आ गई हैं, जिन्हें लेकर कई सवाल भी हैं.
Hair Fall : मेरठ में गंजे लोगों के सिर पर दवा लगाकर बाल उगाने का झूठा दावा करने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी बिजनौर, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड में लोगों को लाखों की नकली दवाएं बेचकर लाखों कमा चुके हैं. मेरठ (Meerut) में भी उनका यह धंधा चालू था, भीड़ भी जमा थी लेकिन एक शख्स ने इसकी शिकायत पुलिस से कर दी और पोल खुल गई. ऐसे में सवाल सवाल उठता है कि क्या वाकई किसी दवा से झड़ चुके बाल लौट सकते हैं. आइए जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स...
बाल झड़ना कितनी चिंता की बात
अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी (AAD) के अनुसार, एक दिन में किसी के 50-100 बाल झड़ना काफी आम बात है. अगर किसी के सिर पर करीब 1 लाख बाल हैं तो यह ज्यादा चिंता की बात नहीं है. यह एक साइकल की तरह होता है. कुछ बाल जाते हैं तो उनकी जगह नए भी आ जाते हैं. हालांकि, अगर बाल ज्यादा झड़ रहे हैं तो टेंशन होना लाजिमी है. ऐसे में डॉक्टर की सलाह ली जा सकती है.
क्या दवा से दूर हो सकता है गंजापन
रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 80% पुरुष और 50% महिलाएं अपने जीवन में कभी न कभी गंजेपन जैसी समस्या का सामना करते हैं. सिर पर बाल कम होने से कॉन्फिडेंस भी डाउन होता है. इसलिए बहुत से लोग गंजेपन को ठीक करने और वापस से बाल पाने के लिए अच्छे इलाज को ढूंढते हैं. ऐेसे में सवाल उठता है कि क्या दवा से गंजापन दूर हो सकता है. इसे लेकर एक रिसर्च भी हुआ है.
दवा से गंजापन दूर करने को लेकर क्या कहती है रिसर्च
वेब एमडी के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया की रिसर्च में पता चला है कि गंजेपन का इलाज सिर्फ एक बात पर ही निर्भर करता है और वह ट्रांसफॉर्मिंग ग्रोथ फैक्टर बीटा है. जीएफ बी काफी छोटे-छोटे प्रोटीन में से एक है, जिसे साइटोकाइन कहा जाता है. यह इम्यून सिस्टम सेल्स और ब्लड सेल्स को कंट्रोल करने में हेल्प करता है. यह फैक्टर तय करने में मदद करता है कि हेयर फॉलिकल सेल्स ग्रो कब होते हैं और कब मरते हैं. साइंस फिक्शन में इस रिसर्च में बताया गया कि इससे स्टेम सेल बिहेवियर को समझने में मदद मिली है. इससे गंजेपन के कारण को कंट्रोल कर सकते हैं और यह दवा काफी काम भी आ सकती है. मतलब ट्रांसफॉर्मिंग ग्रोथ फैक्टर बीटा से गंजेपन का इलाज किया जा सकता है.
क्या टीजीएफ बी वाकई कारगर है
रिसर्च के अनुसार, टीजीएफ बी की पावर इसकी इंटेंसिटी पर डिपेंड करती है. इस रिसर्च में केमिकल मैकेनिज्म को थ्रेशॉल्ड जैसा ही बताया गया है. बहुत ज्यादा केमिकल्स की तरह ही सेल्स मर जाती हैं, इसकी वजह से बाल झड़ने लगते हैं. अगर इस समय इस दवा के कम डोज दिए जाएं तो सेल्स की संख्या बढ़ सकती है और एक-दूसरे में भी बंट सकती हैं.
टीजीएफ बी लेवल को कंट्रोल करने में सक्षम होना और जिस तरह केमिकल जीन्स से संपर्क मे आते हैं, उससे साइंटिस्ट ने हेयर ग्रोथ को स्टिमुलेट करने के तरीके को समझा. इस प्रक्रिया में हेयर फॉलिकल का री जेनरेट होना भी जरूरी है, तभी बालों की सेल्स को ग्रो होने में हेल्प मिलेगी. टीजीएफ बी लेबल को कंट्रोल कर गंजेपन से आसानी से छुटकारा मिल सकता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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