Hair Fall : बदलती लाइफस्टाइल की वजह से बालों का झड़ना आम समस्या बन चुकी है. सिर्फ लड़कियां ही नहीं लड़के भी बालों को गिरने, टूटने और झड़ने (Hair Fall) परेशान हैं. बहुत से लोग इसका काफी महंगा इलाज भी करवाते हैं लेकिन उनकी समस्या जस की तस बनी रहती है. ऐसे में आयुर्वेद काफी कारगर उपाय हो सकता है. आयुर्वेद में बाल झड़ने के एक नहीं कई कारण बताए गए हैं. आयुर्वेद के मुताबिक, जेनेटिक समस्या, ज्यादा नमक चीनी, मिर्च, मसाले वाली चीजें खाने, हार्मोनल अनियमितताएं, खराब लाइफस्टाइल, तनाव, अनिद्रा, धूल या प्रदूषण हेयरफाल का कारण हैं. इसे आयुर्वेदिक तरीके से कंट्रोल भी किया जा सकता है. अगर हेयर फाल की समस्या से जूझ रहे हैं तो देसी घी में दो चीजें मिलाकर खाने से महीनेभर के अंदर बालों का गिरना कंट्रोल हो सकता है.
देसी घी में इन चीजों को मिलाकर खाएं
बालों के झड़ने से परेशान हैं और कोई इलाज ढूंढ रहे हैं तो देसी इलाज अपनाना फायेदमंद हो सकता है. आयुर्वेद में आंवला और मिश्री को काफी गुणकारी बताया गया है. आधा चम्मच देसी घी में इतना ही आंवला पाउडर और मिश्री को मिलाकर दिन में दो बार खाली पेट चबाकर खाने से बाल झड़ने की समस्या दूर हो सकती है.
देसी घी, आंवला और मिश्री एक साथ खाने के फायदे
तीनों ही जड़ी बूटी की तरह काम करते हैं और कामोत्तेजक-ऊर्जादायक हैं. विटामिन सी और खट्टे होने के कारण वातदोष को भी संतुलित रखने का काम करते हैं. इनका स्वाद मीठी और ठँडी प्रकृति भी होती है. इससे पित्त दोष भी संतुलित रहता है. इनका सेवन रोजाना करने से वात, पित्त और कफ संतुलित रहता है और बाल झड़ने जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
बाल झड़ना रोकने के लिए क्या खाएं
बालों की ग्रोथ और उसकी हेल्थ सीधा पोषण से जुड़ा होता है. स्वस्थ और संतुलित आहार खाने से बालों को आवश्यक पोषण मिलता है. जब बालों को आवश्यक विटामिन से लेकर प्रोटीन तक सभी पोषण तस्व मिल जाते हैं तो उनका टूटना कम हो जाता है. इसलिए खाने में मूंग की दाल, आंवला, खीरा, छाछ, बादाम, अखरोट, मूंगफली, तिल के बीज, जीरा, नारियल, त्रिफला, मेथी के बीज, अनार, सौंफ के बीज, पत्तेदार साग और सब्जियां और अंडे शामिल करना चाहिए.
बाल बढ़ाने का देसी इलाज
सिर की आयुर्वेदिक तेलों से मालिश करें.
सिर के स्कैल्प को ज्यादा देर तक सूखा न छोड़ें.
आहार में बालों की ग्रोथ वाले फूड्स रखें.
7-8 घंटे की रोजाना नींद पूरी करें.
रात में सोने से पहले तलुओं की मालिश करें. इससे वात का लेवल बैलेंस हो सकता है.
नियमित तौर पर शीर्षासन और सर्वांगासन जैसे योग करें.
यह भी पढ़ें