Hartalika Teej 2021 Date: हरतालिका तीज का व्रत हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है. हिंदू धर्म में व्रत और त्यौहरों का काफी महत्व है. कहा जाता है कि जो इन व्रतों को पूरी विधि-विधान के साथ करता है उसके जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं, इतना ही नहीं सुख-सम्रद्धी के साथ वैवाहित जीवन में भी शांति बनी रहती हैं. इसलिए महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत पूरे विधि-विधान के साथ करती हैं. ये व्रत सुहागिनों के साथ-साथ कुंवारी लड़कियों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है. ये व्रत रखने से कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से वैवाहिक जीवन का सुख और संतान की प्राप्ति होती है. बता दें कि इस बार भाद्रपद माह में हरतालिका तीज का व्रत 9 सिंतबर 2021, गुरुवार को रखा जाएगा.


हरतालिका तीज का महत्व (hartalika teej significance)


हिंदू पंचाग के अनुसार हरतालिका व्रत का बहुत महत्व है. महिलाएं सोलह श्रंगार करके ये व्रत करती हैं. इतना ही नहीं, कुंवारी कन्याएं भी मनचाहे वर के लिए ये व्रत रखती हैं. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आने वाली हरतालिका तीज का व्रत रखने से महिलाओं के सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. 


क्यों कहते हैं हरतालिका (Meaning of hartalika)


हरतालिका शब्द की उत्पत्ति दो शब्द हरत और आलिका से मिलकर हुई है. इसमें हरत का मतलब होता है अपहरण और आलिका का मतलब होता है सहेली. एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती का अपहरण उनकी ही सहेलियों द्वारा कर लिया जाता है, ताकि उनकी इच्छा के विरुद्ध माता पार्वती के पिता उनकी शादी भगवान विष्णु से न करवा दें. ऐसा होने से बचने के लिए माता पार्वती की सहेलियां उनका अपहरण करके उन्हें गुफा में ले जाती हैं. दरअसल, पौराणिक कथा के अनुसार नारद जी के कहने पर माता पार्वती के पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से करना चाहते थे. वहीं, माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं. और भगवान शिव को पाने के लिए वे कठोर तपस्या कर रही थीं. और ये बात जब उनकी सखियों को पता चली तो वे माता पार्वती का अपहरण कर लेती हैं ताकि उन्हें भगवान विष्णु से शादी करने से बचाया जा सके. माता पार्वती गुफा में भी कठोर तपस्या करते रहे. इससे भोलेनाथ बहुत खुश हुए. माता पार्वती को आर्शीवाद दिया और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. 


पूजा विधि
हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है. इसलिए महिलाएं सुबह स्नानादि करके भगवान शिव और माता पर्वती के व्रत का संकल्प लें. उनकी पूजा-अर्चना करें. हरतालिका तीज का व्रत प्रदोषकाल में किया जाता है. दिनभर निर्जला रहकर व्रत करें. सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में भगवान शिव और माता पार्वती की रेट से बनी मूर्ति को स्थापित करें और उनकी पूजा करें. पूजा करने के समय सुहाग का सारा सामान माता पार्वती को अर्पित करें. व्रत कथा और आरती करने के बाद व्रत खोल लें.