क्या वायु प्रदूषण ने कोविड-19 को बना दिया ज्यादा जानलेवा? शोधकर्ताओं ने किया चौंकानेवाला खुलासा
दुनियाभर में वायु प्रदूषण ने कोविड-19 से होनेवाली मौत में बड़ी भूमिका निभाई हैजहरीली हवा नहीं होने पर होनेवाली एक लाख से ज्यादा मौत को टाला जा सकता था
![क्या वायु प्रदूषण ने कोविड-19 को बना दिया ज्यादा जानलेवा? शोधकर्ताओं ने किया चौंकानेवाला खुलासा Has pollution made Covid-19 deadlier? more than one lakh deaths across world may have been avoided: Study क्या वायु प्रदूषण ने कोविड-19 को बना दिया ज्यादा जानलेवा? शोधकर्ताओं ने किया चौंकानेवाला खुलासा](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/10/28051555/pjimage-53.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
दुनियाभर में वायु प्रदूषण का कोविड-19 से एक लाख 70 हजार लोगों की मौत में योगदान हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के कारण होनेवाली 1.15 मिलियन मौत में 15 फीसदी का संबंध प्रदूषण से जोड़ा है. उनका कहना है कि अगर हवा दूषित नहीं होती तो ब्रिटेन में कोविड-19 से होनेवाली 14 फीसदी मौत को टाला जा सकता था. इसका मतलब हुआ कि करीब 63 सौ लोगों की जिंदगी बच सकती थी.
वायु प्रदूषण ने कोविड-19 को बनाया ज्यादा घातक?
हाल में किए गए शोध को कार्डियोवस्कुलर रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने दुनिया के कई देशों में प्रदूषण स्तर पर विचार किया. उन्होंने गणितीय मॉडलिंग का इस्तेमाल करते हुए हिसाब लगाया कि कितनी कोविड-19 से जुड़ी मौत के पीछे आंशिक रूप से लंबे समय तक दूषित वायु का कितना हिस्सा है. उन्होंने बताया कि आंकड़ों से पता नहीं चलता है कि वायु प्रदूषण सीधे कोविड-19 से मौत का कारण बनता है. हालांकि, उन्होंने इससे इंकार भी नहीं किया है.
जहरीले धुएं से कोविड-19 का ज्यादा जोखिम होता है
फैक्ट्री और कार से निकला जहरीला धुआं स्वास्थ्य स्थिति की दर को आगे बढ़ाता है जिससे लोगों को कोविड-19 का ज्यादा जोखिम होता है. पिछले शोध में वायु प्रदूषण को दुनियाभर में हर साल करीब 7 मिलियन मौत का जिम्मेदार ठहराया गया है. पूर्व के शोध के मुताबिक, वायु प्रदूषण से हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अस्थमा और कोरोनरी आर्टरी डिजीज होता है. कोरोनरी आर्टरी डिजीज का मतलब ऐसी बीमारी से है, जिसमें दिल तक खून नहीं पहुंच पाता है. ऐसा उस वक्त होता है जब दिल तक खून पहुंचाने वाली धमनी में ब्लॉकेज या अवरोध पैदा हो जाता है.
स्वतंत्र वैज्ञानिकों ने खोज पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदूषण से मौत के ठीक-ठीक आंकड़ों को बता पाने में असमर्थता जताई है. लेकिन, उन्होंने स्वीकार किया कि शोध के अनुमान पूरी तरह संभव हो सकते हैं. वर्तमान शोध में कण प्रदूषण (पर्टिकुलेट मैटर) पर फोकस किया गया है. कण प्रदूषण को PM2.5 भी कहा जाता है. ये वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है. PM2.5 मुख्य रूप से कार के धुएं, निर्माण उद्योग और जीवाश्म ईंधनों के जलाने से निकलता है. इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं. हवा में PM2.5 की मात्रा 60 और PM10 की मात्रा 100 होने पर ही उसे सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है.
ये भी पढ़ें-
कम फैट और कम कैलोरी के साथ आसानी से घटेगा वज़न, खाना छोड़ने की नहीं पड़ेगी ज़रूरत
KBC 12: श्रुति सिंह ने 25 लाख के इस सवाल पर किया क्विट, क्या आप जानते हैं इसका जवाब?
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)