सिर दर्द शहरी भारतीयों के बीच सबसे आम बीमारी, बाम पर लोगों ने दी टेबलेट को प्राथमिकता- सर्वे
लोकप्रिय धारणा के विपरीत, रिसर्च में कोविड लॉकडाउन चरण बनाम पूर्व कोविड के दौरान उपभोक्ताओं के दवा भंडारण के व्यवहार में महत्वपूर्ण बदलाव नहीं पाया गया. 55 फीसदी सर्वे में शामिल लोगों ने लॉकडाउन के दौरान विशेष रूप से दवाओं का स्टॉक नहीं किया.
Ipsos के अखिल भारतीय सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि शहरी भारतीयों के बीच सिर दर्द शीर्ष आम बीमारी है और कम से कम 2 में से एक ने उससे जूझने का दावा किया. उसके अलावा, बीमारी का प्रभाव कम करने के लिए उपभोक्ताओं ने बाम के मुकाबले गोलियों को प्राथमिकता दी. सर्वे में 34 शहरों के 15,133 घरों को शामिल कर अन्य शीर्ष बीमारियों के बीच बुखार, बदन दर्द, सामान्य जुकाम, नाक बंद का हवाला दिया गया.
सिर दर्द के लिए बाम के मुकाबले गोलियों को प्राथमिकता
विशेष रूप से बुखार के लिए उपभोक्ताओं ने स्व इलाज पर डॉक्टर से मिलना पसंद किया जबकि सिर दर्द, खांसी और जुकाम के लिए ज्यादा लोगों ने स्व दवा और केमिस्ट पर भरोसा करने की बात कही. उसके अलावा, जराचिकित्सा में गैस्ट्रिक की स्थिति ज्यादा प्रचलित पाई गई. Ipsos ने बयान में कहा "दिलचस्प बात ये है कि एनो गैस्ट्रिक की स्थितियों के लिए शीर्ष ओवर दि काउंटर ब्रांड विकल्प के रूप में उभरा, कम से कम 10 शहरी भारतीयों ने उसे पसंद करने की बात कही. झंडू बाम सिर दर्द के लिए बाम के बीच शीर्ष विकल्प था."
इप्सोस हेल्थकेयर की मोनिका गंगवानी कहती हैं, “कई टिप्पणियों ने हमें अखिल भारतीय रिसर्च करने के लिए मजबूर किया. एक, हमने पाया कि समय की कमी, साक्षरता के स्तर में वृद्धि और डॉक्टर की ऊंची फीस के कारण स्व-दवा में बढ़ोतरी हुई है. दूसरा, हेल्थ सप्लीमेंट्स और पहनने योग्य उपकरणों की नई श्रेणियों का तेजी से फलना-फूलना और तीसरा फार्मा कंपनियों का लोकप्रिय ब्रांडों को आरएक्स से ओटीसी में ले जाना और ओटीसी ब्रांडों का मजबूत प्रचार है."
बाम के बीच झंडू बाम सिर दर्द के लिए शीर्ष विकल्प मिला
सर्वेक्षण में कोविड लॉकडाउन चरण बनाम पूर्व कोविड की श्रेणी बनाकर लोगों के दवा भंडार व्यवहार को देखा गया. नतीजे से पता चला कि 55 फीसदी लोगों ने लॉकडाउन के दौरान विशेष रूप से दवाओं का स्टॉक नहीं किया. लेकिन ये व्यवहार पूर्व कोविड के चरण से अलग नहीं था, जिसमें 54 प्रतिशत लोगों ने सामान्य समय के दौरान भी दवाओं का स्टॉक नहीं करने का दावा किया. केवल सात प्रतिशत लोगों ने लॉकडाउन के दौरान डॉक्टर से परामर्श करने की हामी भरी. उन परामर्शों में से 88 फीसद सामान्य स्थितियों मिसाल के तौर पर खांसी, जुकाम, बुखार, एसिडिटी, अपच के लिए थी, जबकि 31 फीसद डायबिटीज, हाइपरटेंशन, गठिया और अस्थमा की नियमित टेस्टिंग के लिए रही.
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