सफेद रोटी और लच्छेदार पराठा के शौक में खाया जानेवाला सफेद आटा यानी मैदा इंसानी सेहत के लिए नुकसानदेह माना जाता है. सफेद आटा कई चरणों से गुजरकर मैदा की शक्ल अख्तियार करता है. रिफाइनिंग के वक्त इंसानी सेहत के लिए पौष्टिक तत्व जैसे सूजी और फाइबर निकाल लिया जाता है. उसके बाद सफेद आटा मैदा कहलाता है. उसके इस्तेमाल से सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते है. सफेद आटा रोटी, पराठा, डबल रोटी, बर्गर, पिज्जा, पास्ता और मोमो के रूप में खाया जाता है.


कैसे तैयार होता सफेद आटा यानी मैदा?
उसके इस्तेमाल से कोलेस्ट्रोल लेवल का बढ़ना, कब्ज, लीवर का प्रभावित होना, मोटापा, अपच और पाचन तंत्र की गड़बड़ी जैसे मुद्दे उजागर होते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, संपूर्ण आटा जिसे आम भाषा में चक्की का आटा कहा जाता है, उसका इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि उसके अंदर बड़ी मात्रा में डाइट्री फाइबर पाया जाता है. चक्की का आटा इस्तेमाल करने के नतीजे में पाचन तंत्र बेहतर होता है, जिसका असर संपूर्ण स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक पड़ता है. चक्की आटे के इस्तेमाल से खाद्य पदार्थ के साथ लिए गए अन्य मिनरल्स और विटामिन्स भई बेहतर तरीके से पचते हैं.


सफेद आटा खाने के नकारात्मक असर
सफेद आटा 'प्रकृति में अम्लीय' यानी एसिडिक गुणों वाला होता है जिसके इस्तेमाल से एसिडिटी का खतरा बढ़ जाता है. उसके देर से पचने के चलते पेट और आंत की सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, ज्यादा एसिडिक वाले खाद्य पदार्थ जैसे फास्ट फूड और सफेद आटा खाने पर हड्डियों से कैल्शियम का स्राव शुरू हो जाता है, जिसके चलते बढ़ती उम्र में अर्थराइटिस और जोड़ों का दर्द आम हो जाता है.


सफेद आटे में फाइबर की गैर मौजूदगी से कब्ज, सिर दर्द और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का डर होता है. गौरतलब है कि सफेद, रिफाइन आटे को प्रोसेस्ड फूड में शामिल किया जाता है, जिससे कई तरह के फायदेमंद तत्व निकाल लिए जाते हैं. रिफाइन आटे को सफेद रंग देने के लिए ब्लीचिंग भी शामिल किया जाता है, जिसके चलते सफेद आटा का इस्तेमाल इंसानी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.


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