जब भी हम अपनी जांच कराने किसी भी डॉक्टर के पास जाते हैं तो हम यह देखते हैं कि वह हमारी कलाई पर अपनी उंगलियां रखकर कुछ जाचतें हैं. मेडिकल टर्म्स में इसको पल्स रीडिंग कहा जाता है. यही पल्स रेट हमको बताती हैं कि हमारा दिल किस तरह से काम कर रहा है. यानी इसी के द्वारा हमें पता चलता है कि हमारे शरीर में कोई बीमारी तो नहीं है. इन्हीं पल्स रेट को जानने के लिए अब कई और भी तरीके आ गए हैं. आपको बता दें कि जैसे ही आप सही धमनियों को पा लेते हैं तभी आपको सही पल्स रेट का पता चल सकता है. इसीलिए हम आपको बताने जा रहे हैं की किस तरह से आप सही पल्स रेट को जान सकते हैं.
पल्स रेट को मापने का सही तरीका?
-सबसे पहले आपको सही नसों का पता होना बेहद जरूरी है. तभी आप अपनी पल्स रेट को जान सकेंगे. पल्स रेट आपको अपनी कलाई की धमनियों में मिलेंगी.
-सही धमनियों को पहचाना बहुत ही कठिन कार्य होता है जो कि काफी प्रेक्टिस के बाद ही आता है
-आपकी कलाई में मौजूद धमनिया स्किन के बहुत ही पास होती है.
-अपने बाएं हाथ को ऊपर की तरफ मोड़ लें जिससे कि यह हथेली ऊपर की तरफ हो जाए.
अब अपने दाएं हाथ की दो उंगलियों को अग्र-भुजाओं की तरफ ले जाएं. कलाई की ऊपर से नीचे और अंगूठे के बीच से लगभग 1 इंच लंबी रखें.
-अगर आपने अपनी उंगलियों को सही जगह पर रखा हुआ है. ऐसे में आप अपने दिल की धड़कन को आराम से महसूस/सुन पाएंगे. लेकिन अगर आपने ऐसा नहीं किया हुआ है तो आप थोड़ा दबाव डालने का प्रयास करें.
पल्स रेट को कैसे जानें?
पल्स धमनियों का विस्तार होता है जो कि ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी के कारण धमनियों के दीवारों को धक्का देता है. दिल का धड़कना ही पल्सेशन का कारण बनता है और इसी की वजह से हम धमनियों के उतार-चढ़ाव को महसूस कर पाते हैं. जैसे ही आपको सही धमनी मिल जाये आप पल्स रेट जान सकते हैं.
सामान्य पल्स रेट कितनी होनी चाहिए?
सामान्य पल्स रेट 60 से 100 बीपीएम होती है. अगर मनुष्य पूरी तरह से स्वस्थ है. ऐसे में यह कम रहती है. हालांकि पल्स रेट समय कार्य या फिर गतिविधि पर निर्भर करती हैं. अगर आपकी पल्स रेट 40 बीपीएम से कम या फिर 120 पीपीएम से ज्यादा है तो ऐसे में आपको डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें .
डॉक्टर से कंसल्ट कब है ज़रूरी?
अगर आपकी पल्स रेट 60 बीपीएम से कम है और जिसकी वजह से आपको कमजोरी या फिर बेहोश होने जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो ऐसे में आपका तुरंत डॉक्टर से संपर्क जरूरी हो जाता है. साथ ही लो पल्स रेट नॉरमल नहीं होती है और हाई पल्स रेट के कारण आपको एंजाइटी, बीमारी होना आदि समस्याओं का सामना करना पड सकता है.
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