अभी तक आपने महसूस किया होगा या सुना होगा मेडिटेशन से शरीर और दिमाग को फायदा पहुंचता है. मन स्थिर  और तनाव रहित रहता है. ध्यान के कारण शरीर की आतंरिक क्रियाओं में विशेष परिवर्तन होते हैं. शरीर की प्रत्येक कोशिका में ऊर्जा का संचार होता है. जिससे मन को सुकून और शांति मिलती है. इसलिए जब कभी हमें डिप्रेशन या बेचैनी का सामना होता है तो मेडिटेशन की सलाह दी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि मेडिटेशन का संबंध वैज्ञानिक और आध्यात्मिक्ता से जोड़ा जाता रहा है. लेकिन क्या ध्यान लगाने से डिप्रेशन या बेचैनी कम हो सकती है?


मेडिटेशन बढ़ा सकती है बेचैनी-रिपोर्ट


न्यू साइंटिस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में चौंकानेवाला खुलसा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक मेडिटेशन करनेवाले 12 में से एक को नकारात्मक प्रभाव का सामना करना पड़ा. जिससे उनकी बेचैनी या डिप्रेशन की स्थिति और ज्यादा खराब हो गई. मेडिटेशन की कई किस्म होती है. उसकी एक सामान्य किस्म में ध्यान लगाना होता है. यानी वर्तमान क्षण, विचार और अनुभव पर ध्यान केंद्रित करना. शोध में बताया गया कि मेडिटेशन के बाद लोगों में मतिभ्रम पैदा हो गया.


मतिभ्रम, अतार्तिक विचार हुए पैदा


दूसरे शोध के मुताबिक मेडिटेशन के बाद मतिभ्रम के अलावा अतार्तिक और असाधारण विचारों का उन्हें सामना करना पड़ा. हालांकि शोधकर्ताओं ने इस बात को नहीं बताया कि आखिर इसकी क्या वजह है. उनकी सलाह है कि इसके बावजूद मेडिटेशन छोड़ देना नहीं चाहिए. शोधकर्ताओं का कहना है कि उचित मार्गदर्शन के साथ मेडिटेशन की प्रक्रिया अपनाई जा सकती. उचित मार्गदर्शन में किया जानेवाला मेडिटेशन सुरक्षित और बेहतर अनुभव देनेवाला होता है.


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