भोपाल: स्वाइन फ्लू से इंदौर में 40 वर्षीय एक महिला की मौत हो गई. इसके साथ ही मध्यप्रदेश में एक जुलाई से लेकर अब तक इस घातक बीमारी के कारण दम तोड़ने मरीजों की तादाद बढ़कर 17 हो गई है.
समेकित रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) की इंदौर इकाई की प्रभारी डॉ. आशा पंडित ने बताया कि नजदीकी महू कस्बे की रहने वाली महिला की इंदौर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई. वह इस अस्पताल में गंभीर हालत में 21 अगस्त से भर्ती थी.
उन्होंने बताया कि स्वाब नमूने की प्रयोगशाला जांच में इस महिला के एच1 एन1 वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि 23 अगस्त को हुई थी. इससे पहले, मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग की एक अधिकारी ने भोपाल में बताया था कि एक जुलाई से लेकर 24 अगस्त तक मध्यप्रदेश में स्वाइन फ्लू ने 16 लोगों की जान ली है. इस प्रकार इंदौर में एक महिला की स्वाइन फ्लू से मौत होने के बाद अब इस बीमारी से प्रदेश में मरने वालों की संख्या 17 पहुंच गई है.
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश में एक जुलाई से लेकर अब तक 455 संदिग्ध मरीजों के नमूने जाँच के लिये लैबों में भेजे गये, जिनमें से 442 की रिपोर्ट आ चुकी है. इनमें 101 रिपोर्ट एच1एन1 एन्फ्लूएंजा वायरस के लिए पॉजिटिव आईं और 13 नमूने की रिपोर्ट आनी शेष है.’’
अधिकारी ने बताया, ‘‘वर्तमान में स्वाइन फ्लू से पीड़ित 44 मरीज प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं, जिनमें से 18 मरीज सरकारी अस्पतालों में और 26 मरीज प्राइवेट अस्पतालों में उपचार करवा रहे हैं.’’ प्रदेश के भोपाल, जबलपुर, इंदौर, बालाघाट, सतना, शहडोल, रायसेन एवं सागर जिलों के मरीजों में स्वाइन फ्लू पाया गया है.
इसी बीच, मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहाँ स्वाइन फ्लू से बचाव की तैयारियों की समीक्षा की. उन्होंने स्वाइन फ्लू को फैलने से रोकने के आवश्यक उपाय करने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिये है.’’ इस संबंध में चौहान ने जनता को जागरूक करने तथा जाँच और इलाज की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश भी दिये हैं.
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि स्वाइन फ्लू की दवाईयाँ, उपकरण एवं अन्य जरूरी सामग्री की सभी जगह पर्याप्त व्यवस्था की जाये.
उन्होंने कहा कि हरेक जिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड तैयार रहे, वेंटीलेटर की व्यवस्था रहे एवं टेमीफ्लू दवाई की पर्याप्त व्यवस्था हो. जाँच में देरी नहीं हो और त्वरित इलाज शुरू हो जाये.
चौहान ने कहा कि निजी अस्पतालों को भी ताकीद किया जाये कि स्वाइन फ्लू की आशंका होने पर पूरी गंभीरता से इलाज शुरू किया जाये और उसकी सूचना भी तत्काल दी जाये.
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वाइन फ्लू को फैलने से रोकने के लिये बाहर से आने वाले व्यक्तियों के संबंध में आवश्यक उपाय और सावधानियाँ बरती जाये. आम जनता को भी सावधानियाँ बरतने के लिये जागरूक किया जाये.
उन्होंने नगरीय निकाय और ग्राम पंचायतों के माध्यम से आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिये.
इस मौके पर मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य की प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने बताया कि प्रदेश में 65 चिन्हित अस्पताल है, जहाँ स्वाइन फ्लू की जांच और उपचार की व्यवस्था है. ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल में स्वाइन फ्लू के नमूने की जाँच की व्यवस्था है.
गौरी ने कहा कि स्वाइन फ्लू की दवा टेमीफ्लू पर्याप्त उपलब्ध है, जो चिकित्सक की सलाह पर ली जा सकती है. सभी जिला अस्पताल एवं चिकित्सा महाविद्यालयों में इलाज की व्यवस्था है.