अस्पताल की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, गौरव शर्मा साल 2005 में एक भयंकर दुर्घटना के शिकार हो गए थे. इसमें उनके कुल्हे और पैर में आई चोट की वजह से चलने के लिए बैसाखी का सहारा लेना पड़ रहा था. उन्होंने कई अस्पतालों में छह बार ऑपरेशन कराया था.
अस्पताल ने अपने एक बयान में कहा कि शर्मा का मामला बहुत जटिल था, क्योंकि उनकी थाई में कील लगने से उनकी आर्टिफिशयल हिप बोन को लगाने में दिक्कत हो रही थी.
शर्मा की हिप्स रिप्लेसमेंट की पहली सर्जरी पांच मई, 2016 को फोर्टिस में की गई. फोर्टिस के आर्थोपेडिक्स, स्पाइन, जॉइंट रिकंस्ट्रक्शन के निदेशक और रिप्लेसमेंट सर्जन, धनंजय गुप्ता ने कहा कि पहले चरण में कील को थाई से बाहर निकालना था और फिर हिप्स के जोड़ को खोलना था.
छह महीने बाद गौरव के हिप्स की फिर से आर्थोप्लास्टी की गई. यह बहुत आसानी से हो गया, क्योंकि हिप्स के जोड़ को पहले ही खोल दिया गया था.
धनंजय ने कहा कि अब मरीज बिना सहारे के आसानी से चलने में सक्षम है. उसे अब फिजियोथेरेपी दी जा रही है, ताकि उसकी मसल्स मजबूत हो सके.
गौरव का कहना है कि इन डॉक्टर्स से मिलने के पहले मैं कन्फ्यूजन में था. बीते साल की गई सर्जरी के कारण में सदमे में था. हालांकि अब मैं जब खुद को अपने पैरों पर बिना सहारे के चलता हुआ देख रहा हूं तो मेरे पास खुशी जाहिर करने के लिए शब्द नहीं हैं.