चाय का जीवन में इम्पोर्टेंस अलग है. कुछ लोगों की आंखें बिना चाय को पिए नहीं खुलती. कुछ लोग चाय के इतने दीवाने होते हैं कि उन्हें हर घंटे पर चाय चाहिए होती है. वह बिना tea के रह नहीं पाते और कुछ ऐसे होते हैं, जिन्हें चाय पीकर एनर्जी फील होती है. उन्हें लगता है कि अगर चाय नहीं पी है तो कुछ काम नहीं किया है. आज हम आपको ऐसी चाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके पीने से बीमारी होने का खतरा भी घट जाता है. 8 देशों में लोगों पर इस चाय की लेकर स्टडी की गई. ट्रेडिशनल तौर चीन में भी काफी लोग इसे पसंद करते हैं.
10 लाख से अधिक लोगों पर स्टडी
न्यूट्रिशन फूड का खाना हमेशा सेहत के लिए फायदेमंद होता है. आज हम ऐसे ही चाय पर चर्चा करेंगे. 8 देशों में 10 लाख से अधिक लोगों पर केस स्टडी की गई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्टडी में सामने आया कि ब्लैक, ग्रीन या ओलोंग जोकि चीन की ट्रेडिशनल ड्रिंक है. यह शरीर में टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा बहुत तेजी से कम करती है. दिन में चार कप चाय पीने से डायबिटीज होने का रिस्क 17 फ़ीसदी तक कम हो जाता है. यह स्टडी यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज की एनुअल मीटिंग में रखी गई.
ऐसे घटता है खतरा
एनालाइज करने पर सामने आया कि हर दिन एक कप चाय पीने पर डायबिटीज होने का रिस्क एक पर्सेंट कम हो गया. जो लोग चाय नहीं पीते हैं, उनके मुकाबले जिन लोगों ने एक से तीन कप हर दिन चाय पी उनमें चार पर्सेंट तक खतरा कम देखा गया. जिस व्यक्ति ने हर दिन चार कप चाय पी उसमें 17 पर्सेंट तक डायबिटीज रिस्क कम हुआ.
क्या होती टाइप 2 डाइबिटीज
डायबिटीज लाइफ स्टाइल से जुड़ा रोग है. यह दो तरह का होता है एक को टाइप वन डायबिटीज और दूसरे को टाइप टू डायबिटीज कहा जाता है. टाइप वन डायबिटीज में पेशेंट की बॉडी में इंसुलिन ही नहीं बन पाता है. जबकि टाइप टू डायबिटीज में पेशेंट की बॉडी में इंसुलिन बनता है. मगर वह बहुत कम होता है, इसलिए टाइप वन डायबिटीज में मरीज को इंजेक्शन से ही इंसुलिन दिया जाता है, जबकि टाइप टू डायबिटीज में पेशेंट को गोली से इंसुलिन बढ़ाने की कोशिश की जाती है. इंसुलिन का मुख्य कार्य बॉडी में या ब्लड में ग्लूकोस को कंट्रोल करना होता है. यदि बॉडी में ग्लूकोस का लेवल बढ़ जाता है उसे ही डायबिटीज कहा जाता है.
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