दिल्ली-एनसीआर समेत देश के तमाम हिस्सों में बारिश का दौर खत्म हो चुका है, लेकिन इस मौसम में होने वाली बीमारी डेंगू ने अब तक पीछा नहीं छोड़ा है. आलम यह है कि पिछले सात दिन के दौरान ही देश की राजधानी दिल्ली में डेंगू के 400 नए केस मिल चुके हैं. आइए आपको बताते हैं कि डेंगू के जानलेवा मच्छर किस समय और किन जगहों पर काटते हैं? यह बीमारी कितनी खतरनाक है और इससे बचने का तरीका क्या है?
क्या है डेंगू और क्यों होता है?
डेंगू एक वायरल संक्रमण बीमारी है, जो एडीज एजिप्टी नामक खास मच्छर के काटने से होती है. कभी-कभी टाइगर मच्छर (एडीज एल्बोपिक्स) की वजह से भी डेंगू हो जाता है. डेंगू का मच्छर जब किसी हेल्दी शख्स को काटता है तो उसके खून में वायरस को पहुंचा देता है. इससे लोग संक्रमित हो जाते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि दुनिया की लगभग आधी आबादी अब डेंगू के खतरे में है. अनुमान है कि दुनिया में हर साल 100 से 400 मिलियन लोग डेंगू से संक्रमित हो जाते हैं.
किस वक्त काटते हैं डेंगू के मच्छर?
एडीज एजिप्टी मच्छर सुबह और शाम के समय ज्यादा काटता है. ये मच्छर दोपहर और रात के समय घर के कोनों या नमी वाली जगहों पर छिप जाते हैं. डेंगू के मच्छर ज्यादा ऊंचाई तक नहीं उड़ पाते हैं, इसलिए ये सिर्फ पैरों से लेकर घुटनों तक ही काटते हैं. यह मच्छर सुबह सात से 10 बजे तक और शाम चार बजे से छह बजे तक ज्यादा काटते हैं.
भारत में क्या है डेंगू का हाल?
भारत में 1990 से 2024 तक डेंगू के मामले काफी ज्यादा बढ़ चुके हैं. 1990 के दौरान देश में डेंगू के 30.7 मिलियन केस थे, जो 2019 में 56.9 मिलियन केस तक पहुंच गए. वहीं, अगस्त 2024 तक देश में डेंगू के 12 मिलियन से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इस बीमारी से मौतों के आंकड़े की बात करें तो अगस्त 2024 तक 6,991 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. 1990 में मौतों का यह आंकड़ा 28,151, जो 2019 तक 36,055 पहुंच गया था.
मच्छर के काटने के कितने दिन बाद होता है डेंगू?
एडीज मच्छरों के काटने के करीब तीन से पांच दिन बाद ही डेंगू बुखार के लक्षण नजर आते हैं. यह आपकी इम्युनिटी पर डिपेंड करता है और ये लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं.
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डेंगू के शुरुआती लक्षण क्या है?
डेंगू से पीड़ित अधिकांश लोगों में लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं. हालांकि, कई लोगों में लक्षण दिखते हैं, जिनमें सबसे आम लक्षण तेज बुखार, सिर दर्द, शरीर में दर्द, उल्टी करना, जी मिचलाना, सूजी हुई लिम्फ ग्रंथियां, मतली और चकत्ते आदि हैं.
कौन-सा अंग सबसे ज्यादा होता है प्रभावित?
आमतौर पर डेंगू बुखार के कारण कई अंग प्रभावित होते हैं. हालांकि, डेंगू संक्रमण के दौरान लिवर सबसे अधिक प्रभावित होता है. इसके अलावा 40 फीसदी मरीजों में पेद दर्द का लक्षण भी नजर आता है. यह आमतौर पर डीएचएफ से जुड़ा होता है.
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क्या एक बार होने के बाद दोबारा हो सकता है डेंगू?
डेंगू खास तरह का वायरस होता है. यह किसी व्यक्ति को बार-बार हो सकता है. ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि यह अगर एक बार किसी को हो जाए तो दोबारा नहीं होगा. हालांकि, हर बार डेंगू अलग तरह का होगा. बता दें कि वायरस की वजह से डेंगू होता है. यह वायरस चार तरह का होता है, जिनमें टाइप-1, टाइप-2, टाइप-3 और टाइप-4 शामिल हैं. आम भाषा में इस बीमारी को हड्डी तोड़ बुखार कहा जाता है. इस बीमारी के कारण शरीर और जोड़ों में बेहद दर्द होता है.
डेंगू में कितनी प्लेटलेट्स कम होने पर खतरा?
डेंगू से जूझ रहे मरीजों में प्लेटलेट्स का लेवल लगातार घटता रहता है. दरअसल, डेंगू का वायरस बोन मैरो को सप्रेस कर देता है, जिससे प्लेटलेट्स का प्रॉडक्शन कम हो जाता है. इसके अलावा डेंगू के वायरस से ब्लड सेल्स भी प्रभावित होती हैं, जिसकी वजह से प्लेटलेट्स में कमी आ जाती है. अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाते हैं तो इसे लो प्लेटलेट्स काउंट माना जाता है. हालांकि, इससे नीचे प्लेटलेट्स गिरने पर हालात खतरनाक हो सकते हैं.
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डेंगू के इलाज का घरेलू उपचार
डेंगू का विशेष उपचार नहीं है. इस बीमारी के दौरान खुद को हाइड्रेट रखने की जरूरत होती है. ऐसे में खूब सारे तरल पदार्थ जैसे पानी, आईसोटोनिक पेय, फलों का रस और सूप पीना चाहिए. हालांकि, चाय-कॉफी, शराब और ज्यादा चीनी वाले वाले शीतल पेय से बचना चाहिए. अनार का जूस डेंगू बुखार के घरेलू उपचारों में से एक है. वहीं, डेंगू से पूरी तरह राहत मिलने तक नियमित रूप से कम से कम दो गिलास नारियल पानी पीना चाहिए.
हॉस्पिटल में कब होना चाहिए भर्ती?
डेंगू बुखार से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत अस्पताल जाना चाहिए. अगर दवाओं के सेवन के बाद भी बुखार कंट्रोल नहीं हो रहा है तो आपको सबसे पहले अस्पताल जाकर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. इन हालात में डॉक्टर मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की सलाह देते हैं.
डेंगू के मरीजों को क्या नहीं खाना चाहिए?
डेंगू बुखार से संक्रमित होने पर मरीजों को मिर्च, अदरक और जामुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. ये चीजें खासकर रक्तस्राव यानी ब्लीडिंग का खतरा बढ़ा सकती हैं.
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