नई दिल्ली: दिल्ली में दूध की टेस्टिंग में वेजिटेबल ऑयल, स्टार्च और बड़ी मात्रा में मिलावट पाई गई है. देश मे मिलने वाला दूध 41 फीसदी गुणवत्ता से कम आंका गया है. तो वहीं 7 फीसदी दूध पीने लायक नहीं है. एक्शन प्लान फ़ॉर सेफ क्वालिटी मिल्क एंड मिल्क प्रोडक्ट 2018 के हुए सर्वे में राजधानी दिल्ली समेत देश के अन्य राज्यो में मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट्स की टेस्टिंग हुई. जिसमे भारी मात्रा में मिलावट सामने आई है. घी में 10 -12 फीसदी मिलावट है. एनिमल फैट और खास तौर से एडॉल्ट्रेशन की समस्या पाई गई है. खोया और पनीर में भी मिलावट सामने आई है. दूध में वसा की मात्रा ज्यादा पाई गई है, तो वहीं एफलटॉक्सिन M1 की मात्रा ज्यादा है जो किसी को भी बीमार कर सकता है.
सरकार की तरफ से टेस्टिंग के नए उपकरण
एक्शन प्लान के अंतर्गत तीन रैपिड टेस्ट इक्विपमेंट है जो राज्य सरकार को दिए गए है. जिसमें दो इक्विपमेंट दिए जा चुके हैं. एक देना बाकी है. इन इक्विपमेंट के ज़रिए केवल 10 मिनट में दूध की क्वालिटी और उसके पदार्थ टेस्ट किये जा सकते है. क्विक टेस्टिंग के लिए ये उपकरण है. इन इक्विपमेंट का पूरा खर्चा केंद्र सरकार ने उठाया है.
मिल्क वेंडर्स स्कीम की शुरआत
वेरिफाएड मिल्क वेंडर्स स्कीम शुरू की जाएगी. मिल्क वेंडर्स को आइडेंटिटी कार्ड दिया जाएगा, एक लैक्टो मीटर दिया जाएगा और उसकी ट्रेनिंग दी जाएगी. एक पोर्टल की भी शुरुआत होगी जिसमें स्टेट गवर्नमेंट का इन्वॉल्वमेंट रहेगा. अनुमान है 25 लाख मिल्क वेंडर्स हैं जिनमें से 1 लाख मिल्क वेंडर्स को रजिस्टर्ड करने की तैयारी है. जिनके पास कार्ड होगा, टेस्टिंग इक्विपमेंट होंगे. मिल्क और मिल्क उत्पादों को लेकर जो समस्या आई हैं उसको लेकर एक्शन प्लान तैयार किया गया है. राज्य सरकारों से भी निवेदन किया गया है कि राज्य सरकारें भी खर्च करके टेस्टिंग उपकरण खरीदें. देश भर में 37 लैब को ऐसे उपकरण उपलभ्ध कराया जा चुका है. एफ.एस.एस.ए.आई. ने एक टेस्टिंग स्कीम शुरू कर रही है जो जनवरी 2020 से शुरू जो जाएगी. इसके लिए निर्देश दिया जा चुका है. प्रोसेस दूध में मिलने वाली समस्या कम करने का टारगेट है.