मौजूदा दौर में लगभग सभी पैरेंट्स बच्चों को लेकर जिन समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनमें से एक प्रमुख जंक फ़ूड खाने की आदत है। जंक फूड्स जितने टेस्टी लगते हैं, उतने ही सेहत के लिए खतरनाक हैं। चिंताजनक है कि जंक फूड्स ने बच्चों के दैनिक आहार पर एक तरह से कब्ज़ा कर लिया है। इसके खामियाजे के तौर पर बच्चों को मोटापे की बढ़ती महामारी से जूझना पड़ता है, जो आगे चलकर हृदय रोगों, डाइबिटीज, ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और हड्डियों की बीमारियों से लेकर कई तरह के कैंसर तक की वजह बनता है।


मोबाइल की लत ने इस समस्या को और भयावह कर दिया है। दरअसल बच्चे बर्गर, पिज्जा, चिप्स या चॉकलेट कुकीज़ जैसे कई अल्ट्रा-प्रोसेस्ड और हाई कैलोरी, शुगर वाले और फैटी जंकफूड्स का सेवन कर घंटों तक मोबाइल स्क्रीन से चिपके रहते हैं और शारीरिक रूप से लगभग निष्क्रिय जीवन शैली जीते हैं। पैरेंट्स को भी जंक फूड्स बनाना और इन्हें खाने के लिए बच्चों को तैयार करना आसान काम लगता है। लेकिन शायद वे ये नहीं जानते हैं कि अपने हाथों से अपने बच्चों को जहर जितनी खतरनाक चीजें खिला रहे हैं। जंक फूड्स में बहुत कम फाइबर और बहुत अधिक शुगर और नमक होता है, जो पेट के स्वास्थ्य को खराब कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इन खाद्य पदार्थों में सिर्फ उच्च कैलोरी ही खतरा नहीं है, बल्कि हानिकारक एडिटिव्स और प्रिजर्वेटिव भी भी इनमें शामिल होते हैं जिससे बच्चों में मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।


मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट से पता चलता है कि 1990 के बाद से मोटापे की वैश्विक दर बच्चों में चार गुना और वयस्कों में दोगुनी तक बढ़ गई गई है। मोटापा शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर कई तरह की स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म देता है। इनमें शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक बीमारियां तक शामिल हैं। जंक फूड्स के सेवन से बच्चों के व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिले हैं। इन खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से बच्चों में अवसाद, चिंता, आक्रामकता बढ़ रही है।


ऐसे में बड़ा सवाल है कि ऐसा क्या किया जाए जो बच्चे जंक फूड का सेवन ना करें। एक्सपर्ट्स इसके लिए कुछ व्यवहारिक और प्रभावी उपाय बताते हैं, ताकि वे जंक फूड की बजाय कम उम्र से ही विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर र्ण खाद्य पदार्थों के सेवन के महत्व के बारे में समझ सकें।


कैसे कम करें बच्चों के जंक फूड खाने की आदत? 


1. बच्चों को कुकिंग में शामिल करें: यह सबसे शुरुआती और रोचक उपाय है। बच्चों को ‘आज क्या बनाएं’ से लेकर ‘कैसे पकाएं’ तक की पूरी प्रक्रिया में शामिल कर, उन्हें अलग-अलग पौष्टिक खाने की जानकारी दी जा सकती है। यह तरीका बच्चों को इंट्रेस्टिंग भी लगेगा और खेल-खेल में हेल्दी फूड हैबिट्स आदतें विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।


2. किराने के सामान से स्नैक्स को बिल्कुल हटा दें: अपने किचन के सामान की लिस्ट से स्ट्रिक्ट होकर जंक फूड को बिल्कुल हटा दें। ना ये सामान दिखेगा और ना बच्चे खाएंगे। ऐसे धीरे-धीरे बच्चों को इसकी लत से बचाया जा सकता है। इस तरह आप घर पर बने स्वादिष्ट भोजन को प्राथमिकता दें।


3. पौष्टिक भोजन आकर्षक बनाएं: पौष्टिक भोजन के साथ सबसे बड़ी समस्या ये होती है कि वो दिखने में बच्चों को उतने इंप्रेस नहीं कर पाते और उन्हें अरुचीकर लगते हैं। ऐसे में जरूरत है तो सर्व करने और बनाने के तरीके बदलने की। जैसे फल कटर के उपयोग से या सब्जियों को आकर्षक डिजाइनों में बना और परोसकर बच्चों को लुभाया जा सकता है। 


4. खुद उदाहरण बनें: बच्चे अक्सर अपने माता-पिता के व्यवहार की नकल करते हैं, इसलिए यदि आप हेल्दी फूड खाएंगे, बाहर की चीजों से खुद को दूर रखेंगे तो आपके बच्चे भी ऐसा करने के लिए प्रेरित होंगे।


5. स्क्रीन टाइम घटाएं: शोध से पता चलता है कि अत्यधिक स्क्रीन एक्सपोज़र बच्चों में अस्वास्थ्यकर स्नैक्स की बढ़ती खपत से जुड़ा हुआ है। स्क्रीन टाइम सीमित करने से इस आदत पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है।


6.हेल्दी स्नेक्स और ब्रेकफास्ट दें: जब भी आपके बच्चे को कुछ मीठा या नमकीन खाने की क्रेविंग हो, तो उसे फल, मेवे या पॉपकॉर्न जैसे पौष्टिक विकल्प दें। इससे उसका झुकाव जंक फूड की तरफ घटने लगेगा।