नई दिल्लीः बटिंडा में कुछ दिन पहले स्वाइन फ्लू का एक मामला सामने आया है. यह इस सीजन में बटिंडा का पहला मामला है. फ्लू का ये मामला उन हजारों अन्य मामलों में से एक है जो भारत में इस साल देखे गए हैं. चलिए जानते हैं आप इस घातक वायरस से कैसे बच सकते हैं.


स्वाइन फ्लू क्या है? -
स्वाइन फ्लू H1N1 वायरस के कारण होता है जो कि सूअरों से फैलता है. हालांकि यह वायरस अन्य वायरस का परिणाम भी हो सकता है, जैसे कि H3N2. इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार और सांस संबंधी संक्रमण है.


स्वाइन फ्लू कैसे फैलता है? -
स्वाइन फ्लू एक बेहद संक्रामक बीमारी है. यदि आप संक्रमित सूअरों की देखभाल कर रहे हैं तो आपको स्वाइन फ्लू हो सकता है. जो लोग सूअर का मांस खाते हैं या इस स्थिति से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में हैं उन्हें भी स्वाइन फ्लू हो सकता है.


कैसे पता करें कि आपको स्वाइन फ्लू है? -
स्वाइन फ्लू के लक्षण एक नियमित मौसमी फ्लू से मिलते-जुलते हैं. जैसे ठंड लगना, उल्टी, बुखार, खांसी, गले में खराश, मतली, बहती नाक, शरीर में दर्द, थकान और दस्त शामिल हैं. मौसमी फ्लू की तरह ही स्वाइन फ्लू भी निमोनिया, फेफड़ों में संक्रमण और सांस की समस्याओं के दौरान हो सकता है. यदि इन लक्षणों का उपचार न करवाया जाए तो ये लक्षण बढ़ सकते हैं और गंभीर मामलों में मृत्यु भी हो सकती है.


संक्रमण का जोखिम का खतरा किस आयु वर्ग को हैं? -
स्वाइन फ्लू किसी भी उम्र और लिंग वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है. हालांकि, बच्चों और युवा वयस्कों में इसका खतरा अधिक होता है. स्वाइन फ्लू का खतरा उन लोगों में भी अधिक है जो बाहर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में ज्यादा समय बिताते हैं. यह 65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों के लिए घातक हो सकता है. ये उनके लिए भी घातक है जिनकी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली है. गर्भवती महिलाओं, अस्थमा, न्यूरोमस्कुलर रोग, हृदय रोग या मधुमेह मेलेटस जैसी बीमारियों वाले लोगों को इस स्थिति से संक्रमित होने का अधिक जोखिम रहता है.


इस फ्लू को डायग्नोमज कैसे किया जाता है? -
शारीरिक रूप से आपकी जांच करने और आपके लक्षणों का मूल्यांकन करने के बाद डॉक्टर स्वैब टेस्ट करवाते हैं जिसमें आपके शरीर के तरल पदार्थों के नमूने एकत्र करने के लिए आपके गले में एक स्वैब डाला जाता है.


स्वाइन फ्लू का उपचार और रोकथाम -
टैमीफ्लू दवा से स्वाइन फ्लू को ठीक किया जा सकता है. इसके अलावा, दो टीके हैं जो आपको इस स्थिति से बचा सकते हैं. पहला वैक्सीन, जिसे वैक्सिफ़्लु-एस 33 के रूप में जाना जाता है, को 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को दिया जा सकता है. दूसरे को नासोवैक के रूप में जाना जाता है. अन्य उपायों में हाथ की स्वच्छता बनाए रखना, खुद को हाइड्रेटेड रखना और प्रभावित लोगों से दूर रहना शामिल है.


क्या कहते हैं आंकड़े-
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि अकेले 2019 में स्वाइन फ्लू के 27000 मामले सामने आए हैं और इस संचारी रोग से 1167 मौतें हुई हैं. एनसीडीसी के आंकड़ों के अनुसार, 5076 मामलों और 206 मौतों के साथ राजस्थान स्वाइन फ्लू के प्रसार के मामले में पहले नंबर पर है. गुजरात 4,839 मामलों और 151 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली  में इस वायरस के कारण सांस की बीमारी से पीड़ित 3598 लोगों की स्थिति देखी गई है और इस स्थिति से मरने वालों की संख्या अब तक 31 है.


ये खबर रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.