हल्द्वानी के कैंसर मरीजों के लिए 'भगवान' हैं शलभ, नई तकनीक से बेहतर कीं ऑन्कोलॉजी सेवाएं
हल्द्वानी में कैंसर के मरीजों के लिए भगवान समान डॉ. शलभ अरोड़ा ने उजाला सिग्नस सेंट्रल अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की स्थापना की.
धरती पर भगवान की बात हो तो लोग डॉक्टर से ज्यादा किसी पर यकीन नहीं करते. वह डॉक्टर अगर कैंसर जैसी खौफनाक बीमारी का इलाज करते हो तो उनके लिए इज्जत और ज्यादा बढ़ जाती है. कुछ ऐसा ही सम्मान डॉ. शलभ अरोड़ा का भी है. हल्द्वानी के कैंसर मरीजों के लिए वह भगवान से कम नहीं हैं. एबीपी न्यूज के न्यूज मेकर ऑफ द ईयर 2024 में डॉ. शलभ अरोड़ा को 'हेल्थकेयर पायनियर ऑफ द ईयर अवॉर्ड' दिया गया. आइए आपको उनके बारे में खास बातों से रूबरू कराते हैं.
डॉ. शलभ ने किया कमाल
डॉ. शलभ अरोड़ा ने हल्द्वानी के उजाला सिग्नस सेंट्रल अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट की स्थापना की. उनकी इस पहल ने कैंसर के मरीजों को काफी राहत दी, जिससे क्षेत्र में ऑन्कोलॉजी सर्विसेज में इजाफा हुआ. डॉ. शलभ के प्रयासों की वजह से लोगों को हल्द्वानी में कीमोथैरेपी, टारगेटेड थैरेपी, इम्यूनोथैरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट जैसा हाईटेक कैंसर ट्रीटमेंट मिल रहा है.
कहां से हुई डॉ. शलभ की पढ़ाई-लिखाई?
बता दें कि डॉ. शलभ ने सीएमडी वेल्लोर से एमबीबीएस और एमडी इन जनरल मेडिसिन किया. इसके बाद उन्होंने एम्स दिल्ली से डीएम मेडिकल ऑन्कोलॉजी किया. वहीं, मेडिकल ऑन्कोलॉजी का कोर्स उन्होंने ईएसएमओ (यूरोप) और एमआरसीपी (यूके) से किया.
इतनी जगह दे चुके सेवाएं
ब्रेस्ट कैंसर, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर, लंग कैंसर, ब्लड कैंसर और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट में महारत रखने वाले डॉ. शलभ अरोड़ा ने सीएमसी वेल्लो, दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और एम्स दिल्ली आदि संस्थानों के मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट में करीब सात साल तक सेवाएं दी हैं. वह कीमोथैरेपी, टारगेटेड एजेंट्स, इम्युनोथैरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की मदद से कैंसर के काफी मरीजों का इलाज कर चुके हैं. इसके अलावा कैंसर जैसे विषय पर नेशनल और इंटरनेशनल जर्नल्स में उनके लेख प्रकाशित हुए हैं. साथ ही, इस बीमारी पर लिखी कई किताबों में उनकी भी अहम भूमिका रही है.
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