एडिनोवायरस (Adenovirus) का वायरस का प्रकोप दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है. आए दिन इसके मामले में तेजी दर्ज की जा रही है. पश्चिम बंगाल के बाद बैंग्लोर से एक खबर आ रही है कि दो साल की बच्ची का एडिनोवायरस के कारण लिवर-किडनी सभी डैमेज हो गया है. वहीं राज्य की सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल में बच्चों के वार्ड में सांस लेने की तकलीफ से पीड़ित बच्चों को आए दिन भर्ती किए जा रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एडिनोवायरस से पीड़ित बच्चों में एक चीज बेहद आम है वह है सांस लेने की तकलीफ.  यह वायरस ज्यादातर 6 महीने से लेकर 2 साल तक के बच्चों को अपना शिकार बनाता है. एडिनोवायरस इतना खतरनाक होता जा रहा है. अब यह वायरस बच्चों को लिवर-किडनी तक डैमेज कर दे रहा है.


एडिनोवायरस क्या है?


क्लीवलैंड क्लिनिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक एडिनोवायरस इस तरह का वायरस है जो आपके शरीर को धीरे-धीरे बीमार करता है और बाद में यह संक्रमण अपना खतरनाक रूप ले लेता है. एडिनोवायरस से पीड़ित बच्चों को सांस लेने की तकलीफ ज्यादा होती है.  


एडिनोवायरस के लक्षण


एडिनोवायरस (Adenovirus) के लक्षण बेहद आम होते हैं. जो दूसरे वायरल संक्रमण से भी हल्के होते हैं. एडिनोवायरस जिन लोगों को संक्रमित करता है उनका टेस्ट के बाद ही आप पता लगा सकते हैं कि इन्हें एडिनोवायरस है. यह आमतौर पर सर्दियों के शुरुआत में शुरू होती है. और वसंत ऋतु के वक्त यह अपने चरण पर होता है लेकिन इस साल गर्मियों में भी इसका प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है. 


एडिनोवायरस से कौन संक्रमित हो सकता है?


एडिनोवायरस किसी भी उम्र के बच्चों या किसी भी व्यक्ति को हो सकता है. लेकिन .यह 5 साल से कम उम्र के बच्चों में बेहद आम है. एडिनोवायरस अक्सर नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के भी फैल सकता है. एक बच्चे से दूसरे बच्चों में भी यह वायरस फैलता है. क्लीवलैंड क्लिनिक की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चें मुंह में सामान डालते हैं उससे भी यह वायरस फैलता है. 


एडिनोवायरस से लड़ने के लिए ईसीएमओ मशीनें लगाई गई


एडिनोवायरस के मरीज का इलाज करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि ईसीएमओ मशीनें जिनका उपयोग कोविड-19 के इलाज में किया गया था. अन्य तीव्र श्वसन संबंधी बीमारियों के रोगियों के इलाज में सहायक थीं. मेडिका सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में एक ईसीएमओ (एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) चिकित्सक दीपांजन चटर्जी ने कहा कि मशीन कई रोगियों के लिए जीवनरक्षक साबित हुई, जो इस साल की शुरुआत में एडेनोवायरस से संक्रमित थे और अस्पताल में इलाज कर रहे थे.


पांच साल के लड़के ने ईसीएमओ पर 18 दिन, 15 साल की लड़की ने ईसीएमओ पर 47 दिन और चार साल के लड़के ने मशीन पर आठ दिन बिताए. इन सभी में एडेनोवायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया था और जनवरी और अप्रैल के बीच अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तीनों की स्थिति बड़ी ही नाजुक थी लेकिन लंबे इलाज के बाद वह ठीक हो गई. 15 साल की सुदेशना के पिता सुकांत बोस ने कहा मरीजों को ईसीएमओ सपोर्ट पर रखा गया था. जब वेंटिलेशन पर रखने के बावजूद भी कुछ ठीक नहीं हो रहा था. 


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