कोरोना के बाद क्या आपको भी हो गई है भूलने की बीमारी...कहीं ये ब्रेन फॉग की समस्या तो नहीं?
कोरोना संक्रमित कई लोग आमतौर पर "ब्रेन फॉग" नामक एक घटना का अनुभव करते हैं, जिसमें याद रखने, ध्यान केंद्रित करने और दैनिक कार्यों को करने में समस्याएं शामिल हो सकती हैं.
Covid Cause Brain Fog: कोरोना ने एक लंबे अरसे तक तबाही मचाई है, हालांकि यह अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है किसी ना किसी तरह से कोविड लोगों को नुकसान पहुंचा ही रहा है. कोविड से जुड़ी एक बात तो जाहिर है कि कोविड श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, लेकिन बहुत कम लोगों को यह जानकारी है कि यह वायरस दिमाग से जुड़े काम काजो को भी प्रभावित कर सकता है. कोविड से संक्रमित हो चुके हमारे इर्द-गिर्द कई ऐसे लोग हैं जिन्हें ब्रेन फॉग नाम की समस्या हो रही है. कई ऐसे लोग हैं जो ये समस्या अनुभव कर रहे हैं. इसमें कुछ याद रखने में, ध्यान केंद्रित करने में और दैनिक कार्य को करने में समस्याएं हो रही है. स्टडी के मुताबिक ब्रेन फोग लंबे समय तक चलने वाले कोविड के लक्षण भी हो सकते हैं. दरअसल लोग संक्रमण के बाद महीनों या सालों तक लगातार कोविड से लक्षणों से पीड़ित रहते हैं. ब्रेन फॉग भी उन्हीं लक्षणों में से एक है.
वर्किंग मेमोरी फंक्शनिंग कैसे होती है प्रभावित
हाल ही में हुए एक स्टडी में पाया गया है कि कोरोना वर्किंग मेमोरी फंक्शनिंग को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. लेकिन यह समस्या सिर्फ 25 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को हो सकती है. रिजल्ट बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के बाद मेमोरी ठीक से काम कर सकती है लेकिन जिन लोगों के साथ लक्षण जारी हैं उनके मेमोरी फंक्शन करने में कठिनाई हो सकती है.वर्किंग मेमोरी शॉर्ट टर्म मेमोरी का एक रूप है जो हमें समस्याओं को हल करने, पढ़ने या बातचीत करने जैसे कामों को करते समय जानकारी को स्टोर करने और फिर हासिल करने में मदद करता है, इसलिए बिगड़ा हुआ वर्किंग मेमोरी फंक्शनिंग किसी व्यक्ति के दैनिक जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है.
किन लोगों को हुई याददाशत की समस्या
वहीं दिसंबर 2020 और 2021 के बीच हुए अध्ययनों में 5400 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया इनमें से 18 से 24 साल से 85 साल से ज्यादा आयु के प्रतिभागी थे, इनमें से तकरीबन 30.4% प्रतिभागियों को कोरोना हुआ था जबकि 68.6% को नहीं था.सबसे कम उम्र के समूह, 18 से 24 वर्ष के बच्चों को छोड़कर हर आयु वर्ग में गैर-कोविड समूह की तुलना में कोविड समूह के लिए मेमोरी स्कोर काफी कम था. COVID और मेमोरी स्कोर होने के बाद से महीनों की संख्या के बीच एक सकारात्मक सहसंबंध देखा. इससे पता चलता है कि COVID संक्रमण के बाद मेमोरी फंक्शन समय के साथ ठीक हो सकता है.
स्टडी में शामिल जिन लोगों को कोरोना हुआ था उस समूह के 50% लोगों ने बीमारी के लक्षण होने की सूचना दी और इन प्रतिभागियों की मेमोरी स्कोर कम होने की संभावना अधिक थी, उन लोगों की तुलना में जिनको कोविड नहीं हुआ था, या जिन्हें कोविड तो हुआ था लेकिन उनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे.अध्य्यन करने वाले बताते हैं कि वो यह नहीं जानते हैं कि शोध में भाग लेने वाले कौन से कोविड वेरिएंट से संक्रमित थे, उन्होंने अध्ययन ऐसे समय में किया जब ओमिक्रॉन के उभरने से पहले अल्फा और डेल्टा प्रचलन में प्रमुख वेरिएंट थे.
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