Corna After Effects: कोरोना के आफ्टर इफेक्ट्स को लोग अभी तक झेल रहे हैं. हार्ट से लेकर लंग्स तक कोरोना ने कई अंगों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. बच्चों में भी कोरोना के कई तरह के आफ्टर इफेक्ट्स देखने को मिल रहे हैं. खासतौर के लड़कियों में बहुत कम उम्र में हार्मोंस में बदलाव आ रहा है. इसे असामयिक यौवन (Precocious puberty) कहते हैं. इसमें बच्चे के शरीर में वयस्क होने वाले हार्मोंस बनने लगते हैं जबकि मेडिकली उसके शारीरिक बदलाव की ये सही उम्र नहीं होती है. 


कोरोना के बाद 30 प्रतिशत बढ़े ऐसे मामले


राजधानी दिल्ली में कोरोना के बाद ऐसे मामलों में काफी वृद्धि हुई है. जिसमें 5 से 8 साल तक की बच्चियों को पीरियड्स शुरू हो गए हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि असामयिक यौवन (Precocious puberty) के केस पहले भी सामने आते थे, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से ऐसे मामलों में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है, जो चिंताजनक है.


दुनिया में बढ़े हैं असामयिक यौवन (Precocious puberty) के मामले


सिर्फ भारत ही ऐसा देश नहीं है जहां लड़कियों में इस तरह के शारीरिक बदलाव के मामले बढ़ रहे हैं बल्कि इटली से लेकर तुर्की तक और अमेरिका तक दुनिया भर के बाल रोग विशेषज्ञों ने असामयिक यौवन के मामले बढ़ने की जानकारी दी है. द वॉशिंगटन पोस्ट और द फुलर प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है, "कुछ मामलों में 5 साल से कम उम्र की लड़कियों में ब्रेस्ट डेवलपमेंट हो रहा है और 8 साल से कम उम्र की लड़कियों को पीरियड्स शुरु हो रहे हैं. 


असामयिक यौवन (Precocious puberty) के प्रभाव



  • समय से पहले बच्चियों में यौवन की समस्या से माता-पिता और बच्चियों पर साइकलोजिकल असर पड़ रहा है.

  • इस समय बच्चियों को अनवांटेड प्रेगनेंसी की समझ नहीं होती, जिससे खतरा बढ़ जाता है.

  • इस समय बच्चियों को गुड टच और बेड चट के साथ पीरियड्स और हार्मोंस चेंज के बारे में बताना भी अब जरूर हो गया है.

  • डॉक्टर्स का कहना है लड़कियों में हार्मोंस बदलाव के बाद ज्यादातर मामलों में ग्रोथ खासतौर से लंबाई रुक जाती है.

  • इससे बच्चियों का हाइट पर असर पड़ता है. जिसे लेकर माता पिता भी चिंतित हैं.

  • वहीं जिन लड़कियों को जल्दी पीरियड्स होने लगते हैं उन्हें आग चलकर पीसीओडी की समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है.

  • हालांकि इसका कोई संबंध नहीं है, लेकिन जिन लड़कियों में ब्रेस्ट डेवलपमेंट जल्दी होता है उनमें लंबे समय तक हाई एस्ट्रोजन लेवल की वजह से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है. 


लड़कियों में जल्दी यौवन की वजह


दरअसल कोविड़ के दौरान लोग घरों में रहे और बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी भी लॉकडाउन की वजह से प्रभावित रही. ऐसे में बच्चों का वजन बढ़ने लगा था. हमारा दिमाग जो उम्र नहीं पढ़ता है सिर्फ शारीरिक बदलाव की वजह से काफी बदलाव करने लगता है. आसान भाषा में कहें तो, पिट्यूटरी ग्रंथि, जो शरीर में सभी हार्मोन के स्तर को मैनेज करती है, जब शरीर एक निश्चित वजन पर पहुंच जाता है तो यौवन को ट्रिगर करता है. इसकी वजह हार्मोन है. इसके अलावा महामारी के दौरान बच्चों का स्क्रीन टाइम भी काफी बढ़ा है. इससे शरीर में मेलाटोनिन का स्तर भी कम हो गया. मेलाटोनिन का बढ़ा हुआ स्तर भी पिट्यूटरी ग्रंथि को ट्रिगर करता है. 


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