आजकल के बच्चे भी तकनीक और फोन-ग्रस्त दुनिया में रहते हैं, जिसमें हम सब रहते हैं. 6 महीने की उम्र के बच्चे स्क्रीन के सामने एक घंटे से ज़्यादा समय बिताते हैं. औसत किशोर को अपना पहला फ़ोन 12 साल की उम्र से पहले मिल जाता है. हाल ही में, यू.एस. सर्जन जनरल ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर चेतावनी लेबल लगाने की बात कही, ताकि माता-पिता को युवाओं पर ऐप के मानसिक स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में जानकारी मिल सके। बच्चों को तकनीक से कैसे परिचित कराया जाए और उनके इस्तेमाल के लिए किस तरह की सीमाएँ तय की जाएँ, यह तय करना अब सिर्फ़ अगर-मगर का मामला नहीं रह गया है, बल्कि कब का मामला है.


यूपी के बदायूं के HP इंटरनेशनल स्कूल की टीचर्स ने बच्चों को मोबाइल से दूर करने के लिए एक अवेयरनेस प्लान बनाया है. वीडियो में एक टीचर आंखो पर पट्टी बांधकर रोती नज़र आती है. टीचर के पूछने पर कहती है कि ज्यादा मोबाइल देखने से आंखो से खून आ रहा है. इससे बच्चे सहम जाते हैं. इस दौरान टीचर बच्चों को मोबाइल देती है लेकिन बच्चे लेने से मना कर देते हैं. बच्चों से मोबाइल छुड़ाने का ये तरीका अच्छा है..!!


ये भी पढ़ें: Motion Sickness: क्या आपको भी होता है मोशन सिकनेस? तो नोट कर लें ये आसान से टिप्स, तुरंत मिलेगी राहत


मोबाइल, लैपटॉप, और अन्य नए नए गैजेट लोगों को अपना आदी बना रहे हैं और बच्चे इनके सबसे ज्यादा एडिक्ट हो रहे हैं. घंटों-घंटों तक मोबाइल चलाना लैपटॉप चलना यहां तक की देर रात लेटकर मोबाइल देखना आपके शरीर को अंदर ही अंदर बीमार कर रहा है. कानपुर मेडिकल कॉलेज के न्यूरो डिपार्टमेंट के एचओडी मनीष सिंह ने बताया की इस समय हॉस्पिटल में लगातार बच्चों में सरवाइकल पेन की समस्या देखने को मिल रही है.


ये भी पढ़ें: हार्ट अटैक से ठीक पहले विकास सेठी को हुए थे उल्टी और दस्त, जानें क्या पेट से है कोई कनेक्शन?


बच्चों को इन समस्याओं का करना पड़ रहा


प्रोफेसर सिंह ने बताया की जो बीमारियां 50 से 55 की उम्र में शुरू होती थी या दिखाया देती थी अब वो बच्चों में 13 से 20 साल के बच्चों में देखने को मिल रही है. अक्सर बच्चे एक ही पोजिशन में बैठकर घंटों-घंटों तक मोबाइल चलाते हैं. यहां तक की बच्चों के माता भी अपने बच्चों को मोबाइल देकर फ्री होकर अपना काम ये सोचकर करते है कि अब बच्चे उन्हें परेशान नहीं करेंगे और वे अपना काम कर सकें. मां- बाप की इन्हीं आदतों की वजह से बच्चे आम एक्टिविटी से दूर होते जा रहे हैं और इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स के भरोसे निर्भर हो रहे है.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें: गर्म और ठंडा एक साथ खाने से क्या वाकई में कमजोर हो जाते हैं दांत? ये है सच