AIIMS में रेफरल मरीजों को दिखाना होगा आसान, पेशेंट्स के लिए बढ़ रहीं इतनी सुविधाएं
एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास ने बताया कि मरीजों की सहूलियत के लिए एम्स दिल्ली लगातार काम कर रहा है. अब यहां रेफरल मरीजों को दिखाना आसान होगा, जिसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया गया है.
मरीजों की सहूलियत के लिए एम्स दिल्ली लगातार काम कर रहा है. इसी कड़ी में अब यहां रेफरल मरीजों को दिखाना आसान होगा, जिसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया गया है. वहीं, 200 बेड का क्रिटिकल केयर ब्लॉक जल्द खोलने की तैयारी भी चल रही है. साथ ही, अस्पताल में बच्चों के लिए हवाई अड्डे जैसे लाउंज, प्ले एरिया और लाइब्रेरी का इंतजाम भी किया जा रहा है. इस बारे में डायरेक्टर एम श्रीनिवास ने एम्स दिल्ली की आगे की रणनीति पर अहम जानकारियां दीं.
जल्द खुलेगा 200 बेड का क्रिटिकल केयर
डॉ. श्रीनिवास के मुताबिक, एम्स दिल्ली में जल्द 200 बेड का क्रिटिकल केयर ब्लॉक खुलेगा, जो एम्स के ट्रॉमा सेंटर कैंपस के अंदर होगा. इसमें गंभीर हालत वाले मरीजों का इलाज आसानी से होगा. इस सीसीयू में एडवांस मेडिकल इक्विपमेंट होंगे. हालांकि, इस यूनिट को खुलने में करीब दो साल लग सकते हैं.
AI से मिलेगी मेडिकल सेक्टर को मदद
एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास ने बताया कि बढ़ती टेक्नोलॉजी के हिसाब से एम्स भी मेडिकल फील्ड में आगे बढ़ रहा है. इसके तहत मेडिकल सेक्टर में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, कई कार्यों को एआई की मदद से अंजाम दिया जा रहा है.
सेफ्टी-सिक्योरिटी में हुआ इजाफा
एम्स के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. कारण सिंह ने बताया कि एम्स में सेफ्टी और सिक्योरिटी बढ़ाने के मकसद से 200 फेस रिकॉग्निशन कैमरे भी इंस्टॉल किए गए हैं. बता दें कि पूरे एम्स में करीब 2800 कैमरे लगे हैं, लेकिन दो महीने तक फेस रिकॉग्निशन वाले 200 कैमरों को मॉनिटर किया जाएगा. इसके बाद इन कैमरों की संख्या बढ़ाने पर विचार होगा. कोई भी संदिग्ध व्यक्ति इन कैमरों की जद में आएगा तो उसकी पहचान आसानी से हो सकेगी.
ऑपरेशन थिएटर समेत आईसीयू में बढ़ेंगे बेड्स
एम्स डायरेक्टर ने बताया कि दिल्ली एम्स में ऑपरेशन थिएटर की संख्या 50 फीसदी तक बढ़ चुकी है, जबकि आईसीयू में बेड्स की संख्या 40 फीसदी बढ़ाई गई है. इसके अलावा 34% इमपेशेंट बेड, 20 पर्सेंट रेडियोलॉजिकल सर्विसेज और 15 फीसदी तक लेबोरेटरी सर्विसेज में इजाफा हुआ है. दिल्ली एम्स में सर्विस बेहतर करने के लिए लगातार प्लानिंग की जा रही है, जिससे यहां आने वाले मरीजों को इलाज कराने में कोई दिक्कत न हो.
2025 में बनेंगे एयरपोर्ट जैसे वेटिंग लाउंज
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली एम्स में फिलहाल वेटिंग एरिया बने हैं. इनमें बच्चों के लिए हवाई अड्डे जैसे लाउंज, प्ले एरिया और लाइब्रेरी आदि को जोड़ा जाएगा. एम्स डायरेक्टर ने बताया कि यह देश का पहला मेडिकल इंस्टिट्यूट है, जो 100 पर्सेंट पेपरलेस है. यह डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन है, जो आज के वक्त में बेहद जरूरी है.
रेफरल सिस्टम पर चल रहा है काम
गौरतलब है कि दिल्ली एम्स में पूरे देश से मरीज आते हैं, लेकिन यह भी हकीकत है कि एम्स में लोगों को अपॉइंटमेंट मिलने में काफी ज्यादा वक्त लगता है. वहीं, टेस्ट के लिए भी लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं. एम्स दिल्ली इसके लिए स्ट्रैटजी बना रहा है. इसके तहत रेफरल सिस्टम बनाया जा रहा है. ऐसे में बिहार से आने वाले मरीजों को पहले पटना एम्स में रेफर किया जाएगा. अगर वहां प्रॉपर इलाज नहीं मिलता है तो उसे दिल्ली भेजा जाएगा. इससे किसी भी एक अस्पताल पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा और मरीज को सही इलाज मिलने में आसानी होगी. इस सिस्टम के लिए सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया गया है, जिस पर काम लगातार जारी है.
एम्स में हर साल आते हैं करीब 50 लाख मरीज
बता दें कि एम्स में हर साल करीब 50 लाख मरीज आते हैं. इस वक्त एम्स में 3600 बेड मौजूद हैं. साल 2024 के दौरान ही एम्स दिल्ली में करीब तीन लाख एडमिशन हुए. वहीं, इमरजेंसी में रोजाना 700-800 मरीज आते हैं. मौजूदा वक्त में यहां 843 फैकल्टी हैं, लेकिन 20-30% फैकल्टी की शॉर्टेज है, जिसे पूरा करने के लिए वैकेंसी पर काम किया जा रहा है. कॉन्ट्रैक्ट वाले स्टाफ के लिए इंटरव्यू हो चुके हैं. इसके अलावा बाकी चीजों पर काम चल रहा है.
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