विजिटर्स की बढ़ती भीड़ पर काबू करने के लिए एम्स दिल्ली ने नया विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम फेसियल रिकॉग्निशन शुरू कर दिया है. दरअसल, नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में एक पायलट परियोजना शुरू की गई है. फिलहाल यह सिस्टम मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक में शुरू किया गया है. इसका मकसद सुरक्षा पर बढ़ते जोर और विजिटिंग घंटों का पालन करना है. इससे ऑपरेशन थिएटर और आईसीयू जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर बेवजह आने-जाने वालों पर रोक लगने की उम्मीद है.


एम्स मैनेजमेंट ने दी यह जानकारी


AIIMS नई दिल्ली के निदेशक डॉ. (प्रोफेसर) एम. श्रीनिवास ने बताया कि फेसियल रिकॉग्निशन सिस्टम और विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम के एकीकरण से हमारे मरीजों और कर्मचारियों की सुरक्षा में इजाफा होगा. हमारा उद्देश्य तकनीक का इस्तेमाल करके सुरक्षा को बढ़ावा देना है. इससे मरीजों को दिए जाने वाले ट्रीटमेंट की क्वालिटी पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा.


सिक्योरिटी में होगा इजाफा


Aiims की मीडिया सेल हेड, डॉ. (प्रोफेसर) रिमा दादा ने बताया कि यह पायलट परियोजना हमारे प्रगतिशील दृष्टिकोण का एक उदाहरण है, जो हेल्थ सिक्योरिटी को नए मानकों पर पहुंचाएगी. पहले इसकी कमी महसूस होती थी. हम अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके विजिटर्स के मैनेजमेंट में सुधार कर रहे हैं.


पायलट प्रोजेक्ट की खास बातें


ऑटोमैटिक एंट्री कंट्रोल: फेसियल रिकॉग्निशन से कंट्रोल होने वाले फ्लैप बैरियर्स का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे प्रतिबंधित इलाकों में बेवजह आने-जाने वालों की एंट्री पर सख्ती से रोक लगेगी.
मरीजों का रजिस्ट्रेशन: यह सिस्टम विजिटर्स के लिए लागू होगा. इसमें विजिटर्स को फेसियल रिकॉग्निशन सिस्टम में रजिस्ट्रेशन कराना होगा. हालांकि, सभी मरीजों, आपातकालीन या गंभीर मामलों में पूरी तरह छूट रहेगी.


डिजिटल विजिटर मैनेजमेंट: अस्पताल में आने वाले विजिटर्स अपनी पहचान को फेसियल रिकॉग्निशन सिस्टम के माध्यम से प्रमाणित कर सकेंगे. इसके अलावा अस्पताल का एक ऐप भी होगा, जिससे वे रजिस्ट्रेशन करा पाएंगे.


विजिटर्स को मिलेगा कोड: अस्पताल में आने वाले विजिटर्स को सरकार की ओर से जारी पहचान पत्र दिखाना होगा. इसके बाद वे फेसियल रिकॉग्निशन सिस्टम की मदद से पंजीकरण करा सकेंगे, जिससे उन्हें कोड मिलेगा. यह उन्हें एंट्री दिलाने में मदद करेगा. 


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