Air Pollution: दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में शीतलहर के प्रकोप के बीच प्रदूषण की समस्या हर साल पैदा हो जाती है. प्रदूषण के चलते लोगों को कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जहरीली हवा के संपर्क में बार-बार आने पर खतरनाक बीमारियों की आशंका भी बनी रहती है. हवा में मौजूद हानिकारक पार्टिकल प्रदूषण की वजह बनते हैं. इसके चलते फेफड़ों और श्वसन संबंधी परेशानियां पैदा हो सकती हैं. हेल्थ एक्सपर्ट ने जानकारी दी है कि इस नए साल में सांस से जुड़ी परेशानियों के मरीजों की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इतना ही नहीं, कुछ मरीजों को खून में ऑक्सीजन की कमी और ज्यादा प्रदूषित हवा में सांस लेने की वजह से आईसीयू तक में भर्ती कराया गया है. 


एक्सपर्ट के मुताबिक, सांस से जुड़ी पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए ये सर्दी प्रदूषण में भारी वृद्धि और दिवाली के बाद एयर क्वालिटी के बिगड़ने की वजह से ज्यादा हानिकारक रही है. नए साल के आते-आते स्थिति और ज्यादा बिगड़ गई. फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में पल्मोनोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. मनोज गोयल ने कहा कि ब्रोंकाइटिस, छाती में संक्रमण, निमोनिया, अस्थमा और सीओपीडी जैसी श्वसन संबंधी रोगों में तेजी से वृद्धि हुई है और अस्पताल में भर्ती होने के मामले भी बढ़े हैं. डॉ गोयल ने कहा कि लोग खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द और थूक में खून से जुड़ी शिकायतों के साथ अस्पतालों में आ रहे हैं.


मरीजों की संख्या में 30 फीसदी की बढ़ोतरी


उन्होंने कहा कि सांस संबंधी परेशानियों के मरीजों की संख्या में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. ज्यादातर मरीज वायरल और एटिपिकल इंफेक्शन की चपेट में आ रहे हैं. हालांकि इनमें कोविड-19 वायरस का पता नहीं चला है. लोगों को ये समस्याएं सर्दियों के बीच बढ़ते प्रदूषण की वजह से हो रही हैं. वैशाली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट और यूनिट हेड पल्मोनोलॉजी डॉ. मयंक सक्सेना ने कहा कि ऐसे मरीजों को ICU में भर्ती करने और बहुत देखरेख की जरूरत हो सकती है, क्योंकि अभी हम 400 से ज्यादा एक्यूआई का स्तर देख रहे हैं, जो काफी गंभीर है.


मैदानी इलाकों में बारिश का अभाव


गुड़गांव के सी के बिड़ला अस्पताल के डॉ. रवींद्र गुप्ता ने कहा कि सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषकों के वातावरण में फैल जाने के कारण सांस संबंधी परेशानियां काफी बढ़ जाती हैं. हवा के ठहरे रहने की वजह से प्रदूषण बढ़ने की आशंका रहती है. जबकि बारिश के मौसम में यह समस्या काफी हद तक कम हो जाती है. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, इस सर्दी में मैदानी इलाकों में बारिश का काफी अभाव रहा है. जिसकी वजह से इन क्षेत्रों में स्थिर हवा का पैटर्न देखा जा सकता है.


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