Pollution In Delhi : दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. बढ़ते प्रदूषण के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. ये बीमारियां इतनी खतरनाक होती हैं  कि सेहत पर गंभीर असर डालती हैं. पराली जलाना, निर्माणाधीन गतिविधियां, औद्योगिक रिलीज और वाहन से निकलते धुएं स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करती हैं. आइए जानते हैं दिल्ली की हवा प्रदूषित होने से किन-किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और उससे कैसे बचा जा सकता है...

 

वायु प्रदूषण से कम हो रही उम्र

हाल ही में जारी की गई, शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान की वायु गुणवत्ता लाइफ इंडेक्स पर 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक देश है. एक अनुमान के हिसाब से, देश की पूरी आबादी के करीब 40 प्रतिशत लोग भारत के उत्तरी इलाकों में रहते हैं. इलाकों की सूची में दिल्ली और कोलकाता जैसे शहर भी शामिल किए गए हैं. इन राज्यों में रहने वाले लोग, वायु प्रदूषण की वजह से अपनी जिंदगी के लगभग 9 साल खो दे रहे हैं. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के AQLI डाटा से पता चलता है कि वायु प्रदूषण कम होने से वहां के लोगों की उम्र करीब 5.6 साल तक बढ़ सकती है.

 

वायु प्रदूषण का सेहत पर असर

वायु प्रदूषण (Air pollution) के संपर्क में आने से हमारी सेहत पर कई तरह से बुरे असर पड़ सकते हैं. इनमें कुछ समय से लेकर लंबे समय के लिए होने वाली समस्याएं शामिल हैं. गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं तब सामने आती हैं, जब हवा में सूक्ष्म पीएम 2.5 कण मौजूद होते हैं. ये कण इंसानों के शरीर में आसानी से चले जाते हैं और फेफड़ों में पहुंच नुकसान पहुंचाते हैं.

 

क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस की समस्या

ब्रोंकाइटिस एक खास तरह की सूजन है जो आपके फेफड़ों में जाने वाले वायुमार्ग में रुकावट डाल देती है. जब आपका वायुमार्ग (ट्रेकिया और ब्रॉन्काई) में जलन महसूस होती है, तब वहां सूजन आ चुकी होती है और बलगम भर जाता है. इसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति को खांसी हो जाती है. वायु प्रदूषण भी हमारे वायुमार्ग में सूजन की वजह बन सकता है, जिससे ब्रॉन्काइटिस की समस्या हो सकती है.

 

अस्थमा का अटैक

जो लोग पहले से ही अस्थमा की दिक्कत से पीड़ित हैं, प्रदूषण उनकी स्थिति को पहले से ज़्यादा बिगाड़ सकता है. साथ ही, स्वस्थ लोग भी अस्थमा के शिकार भी हो सकते हैं. अमेरिकन लंग एसोसिएशन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जो लोग ओज़ोन और कण प्रदूषण में सांस ले रहे हैं उनमें अस्थमा की दिक्कत बढ़ सकती है. साल 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में वायु प्रदूषण की वजह से सिर्फ़ एक साल में 60 लाख बच्चे अस्थमा के शिकार हुए.

 

फेफड़ों का कैंसर

लैंसेट में सितंबर में पब्लिश हुई एक स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया था कि कैसे बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, मेसोथेलियोमा, मुंह और गले के कैंसर का कारण बन सकता है. यानी कि वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ते ही फेफड़ों के मरीज या फिर फेफड़ों के रोगों की समस्या अपने-आप बढ़ने लगती है.

 

अन्य खतरनाक बीमारियां

लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क रहने वाले लोगों में COPD, निमोनिया और दिल की बीमारियों का खतरा भी बना रहता है. इसकी वजह से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में शिथिलता होने लगती है. इन बीमारियों की गंभीरता लगभग हर व्यक्ति में अलग-अलग तरह से हो सकती है. इन पर इंसान की मौजूदा लाइफस्टाइल, स्वास्थ्य स्थिति, उम्र, और लिंग का सीधा असर पड़ता है.

 

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